अखूट का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसी उलझन , असमंजस और अन् यमनस् क एकाकी जीवन तथा उजाड़ परिवेश के बीच फूटती शाश् वत मानव-जीवन की वह अखूट , अटूट धारा जो एक फांक , दो फांक में बांटते-बदलते परिवेश में भी अथक बनी रहती है।
- हर व्यक्ति में प्रकृति पर विजय पाने की अपार क्षमताएं ईश्वर ने दी हैं लेकिन कुछेक ही ऐसे हुआ करते हैं जो अपने भीतर समाहित इस महानतम और अखूट ऊर्जा भण्डार की थाह पाते हैं और इसे खोलने की कुंजी भी पा जाते हैं।
- वहाँ अलका में कामी जन अपने महलों के भीतर अखूट धनराशि रखे हुए सुरसुन् दरी वारांगनाओं से प्रेमालाप में मग् न होकर प्रतिदिन , सुरीले कंठ से कुबेर का यश गानेवाले किन् नरों के साथ , चित्ररथ नामक बाहरी उद्यान में विहार करते हैं।
- सवाल और संदेह तुम्हारी वृति है और उन्हें टालना मेरी प्रवृति इस लिए न कभी तुम्हारी हार होती है न मेरी जीत हम दोनों के बीच बस तैरती रहती है असीम अखूट घुटन जो हमेँ जोड़े रखती है एक दूसरे के भीतर समूचा उतरने की चाह मेँ !
- असीम था समय आदि-अनादि काल से अखूट था आदि से अंत तक अवतारों तक से खर्च तो हुआ ही नहीं सृष्टि से पहले भी था आज मगर नहीं है किसी के पास निमिष भर समय गया कहां आखिर यह अकूत खजाना या फिर मिथ्या हैं घोषणाएं मन के भरमाए कपटी मानवों की !
- श्री रणधीरजी बाबल सोवन नगरी से जो अखूट स्वर्ण सीला लाये थे , उसी से वे मंदिर का निर्माण करवा रहे थे , परंतु बीच में ही उनके स्वर्गवास हो जाने के कारण मंदिर का ऊपरी भाग अधूरा रह गया था , जिसे बाद में बिश्नोई संतों ने समाज की सहायता से पूर्ण करवाया था।
- इस अदभुत ग्रन्थ के 18 छोटे अध्यायों में इतना सारा सत्य , इतना सारा ज्ञान और इतने सारे उच्च , गम्भीर और सात्त्विक विचार भरे हुए हैं कि वे मनुष्य को निम्न - से - निम्न दशा में से उठा कर देवता के स्थान पर बिठाने की शक्ति रखते हैं | वे पुरुष तथा स्त्रियाँ बहुत भाग्यशाली हैं जिनको इस संसार के अन्धकार से भरे हुए सँकरे मार्गों में प्रकाश देने वाला यह छोटा - सा लेकिन अखूट तेल से भरा हुआ धर्मप्रदीप प्राप्त हुआ है |
- प्रकृति ने भी मनुष्य की इस फितरत को देखकर अपने उपहारों को भीतर की ओर सिमट लिया है और आनंद की बजाय यांत्रिक उद्विग्नता और अवसादों की ओर धकेल दिया है जहाँ अखूट संपदा और भोग-विलास तथा जन-ऎश्वर्य के तमाम संसाधनों , बड़े-बड़े पदों और प्रतिष्ठा , लोकप्रियता के चरमोत्कर्ष को पा चुकने के बाद भी हमारा मन अशांत है , चित्त में उद्विग्नता और अवसादों के ज्वार उफनने लगे हैं और नाना प्रकार की बीमारियों ने इतना घेर लिया है कि दवाइयों के नाश्ते के सिवा हमारे पास आनंद पाने लायक कुछ बचा ही नहीं है .