अग्निष्टोम का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
- - इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण , चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है।
- इसके अनन्तर अग्निष्टोम की विकृतियों उक्थ्य , क्रतु , षोडशी और अतिरात्र का वर्णन चतुर्थ पंचिका के द्वितीय अध्याय के पंचम खण्ड तक है।
- इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण , चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है।
- अग्निष्टोम समस्त सोमयागों का प्रकृतिभूत है , एतएव इसका सर्वप्रथम विधान किया गया है , जो पहली पंचिका से लेकर तीसरी पंचिका के पाँचवें खण्ड तक है।
- ( 3 ) अदाभ्य पात्र यह सोमरस रखने का गूलर की लकड़ी का बना एक पात्र है , जो अग्निष्टोम आदि याग में प्रयुक्त होता है ।
- समस्त फलों का साधन होने के कारण मुख्य है , इसके विपरीत अन्य याग एक-एक फल देने वाले हैं, इसलिए अग्निष्टोम के अनुष्ठान से समस्त फल प्राप्त होते हैं।
- अग्निष्टोम याग का अनुष्ठान व्यक्ति क्यों करें ? उससे क्या लाभ हो सकता है ? इसे जाने बिना व्यक्ति मानवीय स्वभाव के अनुसार यज्ञ में प्रवृत्त ही नहीं हो सकता।
- इनके संक्षिप्त परिचय इस प्रकार हैं- अग्निष्टोम- ताण्ड्य ब्राह्मण 6 / 3 / 8 और शतपथ ब्राह्मण 10 / 1 / 2 / 9 में अग्निष्टोम का विवरण है ।
- यम तीर्थ पर स्नान और दान से मनुष्य पापरहित हो जाता है , जबकि अग्नि तीर्थ पर स्नान और दान करने से मनुष्य को अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है।