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अनमन का अर्थ

अनमन अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. माँ , अनमन, दालान (मानसरोवर-१) कुत्सा, डामुल का कैदी (मानसरोवर-२) माता का हृदय, धिक्कार, लैला (मानसरोवर-३) सती (मानसरोवर-५) जेल, पत्नी से पति, शराब की दुकान जलूस, होली का उपहार कफन, समर यात्रा सुहाग की साड़ी (मानसरोवर-७) तथा आहुति इत्यादि वे कहानियाँ हैं जिनमें राष्ट्रीयता के विष्य को प्रमुखता से डाला गया है।
  2. चल-चल , निशा की सोच में, मानव जगाले, चल आ चल, कलम की नोक से, कागज़ जलाले, चल दीखे दाख हैं दिन भर खड़े गल्पों के रेती घर तमन्ना की रसीदें तम नयन भर मील के पत्थर पलक भर भूल दुःख जीवन अरे लिख रागिनी अनमन कोई बस पढ़ जुड़ा लेगा तेरे इस मन से अपनापन द्वार दर ख
  3. चल-चल , निशा की सोच में, मानव जगाले, चल आ चल, कलम की नोक से, कागज़ जलाले, चल दीखे दाख हैं दिन भर खड़े गल्पों के रेती घर तमन्ना की रसीदें तम नयन भर मील के पत्थर पलक भर भूल दुःख जीवन अरे लिख रागिनी अनमन कोई बस पढ़ जुड़ा लेगा तेरे इस मन से अपनापन द्वार दर ख...
  4. का मरलीं जल की मछरिया कि नाहीं बनवा सावज हो काहें तूँ ठाढ़ि हिरनिया मनइ मन अनमन हो ॥ २ ॥ [ हिरण उसे यूँ अनमना देखकर पूछता है - ” क्या सभी तालाब सूख गये जिससे सारी मछलियाँ मर गयीं ( जल कहाँ मिलेगा अब ? ) या सभी वन के तृण-पात सूख गये ( चरने को क्या मिलेगा ? ) कि तुम इस तरह अनमनी होकर खड़ी हो ।
  5. माँ , अनमन , दालान ( मानसरोवर- १ ) कुत्सा , डामुल का कैदी ( मानसरोवर- २ ) माता का हृदय , धिक्कार , लैला ( मानसरोवर- ३ ) सती ( मानसरोवर- ५ ) जेल , पत्नी से पति , शराब की दुकान जलूस , होली का उपहार कफन , समर यात्रा सुहाग की साड़ी ( मानसरोवर- ७ ) तथा आहुति इत्यादि वे कहानियाँ हैं जिनमें राष्ट्रीयता के विष्य को प्रमुखता से डाला गया है।
  6. माँ , अनमन , दालान ( मानसरोवर- १ ) कुत्सा , डामुल का कैदी ( मानसरोवर- २ ) माता का हृदय , धिक्कार , लैला ( मानसरोवर- ३ ) सती ( मानसरोवर- ५ ) जेल , पत्नी से पति , शराब की दुकान जलूस , होली का उपहार कफन , समर यात्रा सुहाग की साड़ी ( मानसरोवर- ७ ) तथा आहुति इत्यादि वे कहानियाँ हैं जिनमें राष्ट्रीयता के विष्य को प्रमुखता से डाला गया है।
  7. तुम आये , दीप जले वन-उपवन फूल खिले नीरव मन, जड़ चेतन नहीं बीते कोई क्षण आहट तेरी सुन ह्रदय के तार हिले तुम आये, दीप जले विहग हुए अनमन करें न कोई स्वन सुन तेरी पायल की धुन सुरीली गुंजन निकले तुम आये, दीप जले चक्षु रहें थे बंद मेरे निरंतर लें स्वप्न तेरे ख्यालों-ख्यालों में ही नयनों के तीर चले तुम आये, दीप जले क्रूर दिवाकर देह जलाये, मनोवेग हैं मन बहकाये, रुत कोई नहीं मन भाये, तुम आओ, मौसम बदले तुम आये, दीप जले
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