अभक्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अशांत को शांति देना , निगुरे को सगुरा बनाना, अभक्त को भक्ति की तरफ ले जाना भी यज्ञ है और अपनी जो भी सूझबूझ है उसे परहित के लिए खर्चना यह यज्ञ, दान और तप है।
- भावार्थ : - तथापि वे भक्त और अभक्त के हृदय के अनुसार सम और विषम व्यवहार करते हैं ( भक्त को प्रेम से गले लगा लेते हैं और अभक्त को मारकर तार देते हैं ) ।
- भावार्थ : - तथापि वे भक्त और अभक्त के हृदय के अनुसार सम और विषम व्यवहार करते हैं ( भक्त को प्रेम से गले लगा लेते हैं और अभक्त को मारकर तार देते हैं ) ।
- अशांत को शांति देना , निगुरे को सगुरा बनाना , अभक्त को भक्ति की तरफ ले जाना भी यज्ञ है और अपनी जो भी सूझबूझ है उसे परहित के लिए खर्चना यह यज्ञ , दान और तप है।
- अशांत को शांति देना , निगुरे को सगुरा बनाना , अभक्त को भक्ति की तरफ ले जाना भी यज्ञ है और अपनी जो भी सूझबूझ है उसे परहित के लिए खर्चना यह यज्ञ , दान और तप है।
- भूखे को रोटी देना , प्यासे को जल पिलाना , हारे हुए , थके हुए को स्नेह के साथ सहाय करना , भूले हुए को मार्ग दिखाना , अशिक्षित को शिक्षा देना और अभक्त को भक्त बनाना चाहिए।
- ******* भक्त वह है जो तन से कर्तव्य-कर्म करता है और मन , वाणी से निरन्तर भगवान का स्मरण करता है , अभक्त वह है जो वाणी से तो भगवान का नाम जपता है और मन से दूसरों का बुरा चाहता है।
- ******* भक्त वह है जो तन से कर्तव्य-कर्म करता है और मन , वाणी से निरन्तर भगवान का स्मरण करता है , अभक्त वह है जो वाणी से तो भगवान का नाम जपता है और मन से दूसरों का बुरा चाहता है।
- ' यह बात सुनने में अटपटी लग सकती है की समदर्शी प्रभु भी पक्षपाती है , क्योंकि वे भक्त के साथ सम प्रेम का व्यवहार करते हैं और अभक्त के साथ विषम अर्थात क्रोध का व्यवहार करते हैं , परन्तु ऐसा नहीं है ।
- च नाशुश्रूषवे वाच्यं न मां योऽभ्यसूयति॥ -गीता ' ' तपस्या-विहीन , अभक्त या जिसको अभी तक इन बातों के सुनने की तीव्र इच्छा न हुई और जो गुरु-सेवा परायण न हो या जो मुझसे ( ईश्वर ) से असूया रखता हो , ऐसे व्यक्ति से बातें न कहनी चाहिए । ''