अमानव का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस प्रकार उत्तरोत्तर , प्रकाश से प्रकाश में विकसित होते हुए पुरूष का मानव से यह अमानव रूप प्रकट होता है , फिर वही अमानव अन्य ब्रहमभक्तों को ब्रहम मार्ग का प्रदर्शन करता है , यही देवयान मार्ग कहलाता है।
- इस प्रकार उत्तरोत्तर , प्रकाश से प्रकाश में विकसित होते हुए पुरूष का मानव से यह अमानव रूप प्रकट होता है , फिर वही अमानव अन्य ब्रहमभक्तों को ब्रहम मार्ग का प्रदर्शन करता है , यही देवयान मार्ग कहलाता है।
- मैं नुक्ताचीनी मूलतः इसलिए ही करता हूँ कि मुझे लगता है कि मानव को तो समझ आ जाएगा कि क्या लिखा है लेकिन अमानव - यंत्र - को कैसे पता चलेगा कि क्या लिखा है ? कितनी जानकारी हमें अमानव ही पहुँचाते हैं।
- मैं नुक्ताचीनी मूलतः इसलिए ही करता हूँ कि मुझे लगता है कि मानव को तो समझ आ जाएगा कि क्या लिखा है लेकिन अमानव - यंत्र - को कैसे पता चलेगा कि क्या लिखा है ? कितनी जानकारी हमें अमानव ही पहुँचाते हैं।
- वे अमानव होते हुए भी मानव रूप में क्यों जन्म ग्रहण करते हैं और तीनों लोकों में उनका कोई कर्त्तव्य - कर्म न होते हुए भी वे क्यों कर्म करते हैं , इस बात को उच्चस्तरीय मनःस्थिति में जाकर ही स्वानुभूति द्वारा जाना जा सकता है।
- लेकिन मानवाधिकार के नाम पर सुविधाओं की मांग , जघन्य अपराध के दोषियों की हिमायत कितनी न्यायोचित है यह एक सोचने वाली बात है.शायद संयुक्त राष्ट्र को अब साठ साल बाद मानवाधिकार घोषणापत्र पर फिर एक नज़र डालने की ज़रूरत है क्योंकि मानवाधिकार मानवों के होते हैं...पर कुछ लोग अमानव भी बन जाते हैं...
- इसलिए छांदोग्य , बृहदारण्यक तथा निरुक्त आदि में भी उत्तरायण में आदित्य , चंद्र विद्युत और मानस या अमानव आदि का तथा दक्षिणायन में पितृलोक , आकाश , चंद्रमा आदि का भी जिक्र है इसलिए भी बहुतों का खयाल है कि यहाँ काल या समय की बात न हो के कुछ और ही है।
- # [ अमानव वादी ] आप होंगे मनुष्य / यह नाम तो आपने दिया / मुझको गलत , जैसे / किसी का नाम आपने / ईश्वर दे दिया / वरना मै तो जानवर हैं / यह नाम मैं अपने लिए / स्वीकार करता / धारण करता हूँ / अपने पशु बंधुओं के साथ / भाईचारे में | $
- दुष्परिणामस्वरूप हम और-और गहरे में , अपने अन्तर्मन में नकारात्मक और विध्वंसात्मक विचारों को संजोना और संवारना शुरू कर देते हैं | इस प्रकार यह अनन्त और अमानवीय दुष्चक्र चलता रहता है | इसी के चलते हमें पता ही नहीं चलता है और हम मानव से अमानव हो जाते हैं और हमारे आपसी आत्मीय सम्बन्ध हमारी इन मानसिक विकृतियों के कारण पल-पल अपनी ही मूर्खताओं के कारण टूट-टूट कर बिखरने लगते हैं | जिसके चलते आज करोड़ों लोग घुट-घुट कर मर रहे हैं !