अरसिक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ओ सर जी , हुण तुसी कित्थों घट्ट हो? रैंकिंग तो टॉप, इनाम शिनाम लूटने हो तो टॉप, मुशायरे या कवि-सम्मेलन लूटने हों तो टॉप! होर की चाही दा है जी? कोई अब्लॉगर, अकवि, अशायर, अरसिक आपकी लूट के किस्से सुने तो आपको धूम-
- सो मैंने अपनी बात उस प्रसिद्ध सुभाषित से शुरू की जिसमें कहा गया है कि - हे विधाता , कर्मफल के नाम पर और चाहे जितने ताप-शाप दे देना पर मेरे भाग्य में ऐसा अवसर कभी न लिखना कि मुझे किसी अरसिक श्रोता को कविता सुनानी पड़े-
- ओ सर जी , हुण तुसी कित्थों घट्ट हो? रैंकिंग तो टॉप, इनाम शिनाम लूटने हो तो टॉप, मुशायरे या कवि-सम्मेलन लूटने हों तो टॉप! होर की चाही दा है जी? कोई अब्लॉगर, अकवि, अशायर, अरसिक आपकी लूट के किस्से सुने तो आपको धूम-iv का हीरो साईन कर ले।
- ओ सर जी , हुण तुसी कित्थों घट्ट हो ? रैंकिंग तो टॉप , इनाम शिनाम लूटने हो तो टॉप , मुशायरे या कवि-सम्मेलन लूटने हों तो टॉप ! होर की चाही दा है जी ? कोई अब्लॉगर , अकवि , अशायर , अरसिक आपकी लूट के किस्से सुने तो आपको धूम-iv का हीरो साईन कर ले।
- ओ सर जी , हुण तुसी कित्थों घट्ट हो ? रैंकिंग तो टॉप , इनाम शिनाम लूटने हो तो टॉप , मुशायरे या कवि-सम्मेलन लूटने हों तो टॉप ! होर की चाही दा है जी ? कोई अब्लॉगर , अकवि , अशायर , अरसिक आपकी लूट के किस्से सुने तो आपको धूम-iv का हीरो साईन कर ले।
- पेवर छत्तीसगढ़ी ( ठेठ-खांटी छत्तीसगढ़ी में शुद्ध के लिए शायद अंगरेजी 'प्योर' का अपभ्रंश पेवर शब्द प्रचलित है) या मध्य मैदानी छत्तीसगढ़ की जबान में भोजपुरी-मगही स्वाद लिए सरगुजिया (सादों या सादरी सहित) और मराठी महक व उड़िया छौंक वाली हलबी की भाषाशास्त्रीय विविधता रोचक है ही, इनकी वाचिक परम्परा के रस से थोड़ा परिचित होते ही, अरसिक भी इनमें ऊभ-चूभ होने लगता है।
- पेवर छत्तीसगढ़ी ( ठेठ-खांटी छत्तीसगढ़ी में शुद्ध के लिए शायद अंगरेजी ' प्योर ' का अपभ्रंश पेवर शब्द प्रचलित है ) या मध्य मैदानी छत्तीसगढ़ की जबान में भोजपुरी-मगही स्वाद लिए सरगुजिया ( सादों या सादरी सहित ) और मराठी महक व उड़िया छौंक वाली हलबी की भाषाशास्त्रीय विविधता रोचक है ही , इनकी वाचिक परम्परा के रस से थोड़ा परिचित होते ही , अरसिक भी इनमें ऊभ-चूभ होने लगता है।
- पेवर छत्तीसगढ़ी ( ठेठ-खांटी छत्तीसगढ़ी में शुद्ध के लिए शायद अंगरेजी ' प्योर ' का अपभ्रंश पेवर शब्द प्रचलित है ) या मध्य मैदानी छत्तीसगढ़ की जबान में भोजपुरी-मगही स्वाद लिए सरगुजिया ( सादों या सादरी सहित ) और मराठी महक व उड़िया छौंक वाली हलबी की भाषाशास्त्रीय विविधता रोचक है ही , इनकी वाचिक परम्परा के रस से थोड़ा परिचित होते ही , अरसिक भी इनमें ऊभ-चूभ होने लगता है।
- वे रास्ते भर उनकी समीक्षा करती रही - डॉ व्यास आप अरसिक है या विमूढ ? क्या आप बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहे है , मैं आप की ओर आकर्षित हूं , और आप के पास जाने के बहाने ढूंढती हूं ? और यदि आप ये कहे , स्त्री का मन भांप कर ही पुरुष आगे बढता है तो मन कोई किताब तो नहीं जिसे खोलकर कहूं , इसमें आप के लिए संदेश है ।