अरुणाई का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सूरज निकलने के पहले पूरब में अरुणाई देखी दिल से कोई आवाज निकली और घाटियों को गुंजा गई ! दिल ने वही सुनी तन-मन झंकृत हो उठे दुनिया जाग उठी
- ' हारे को हरिनाम' से दिनकर क्यों कि तुम हो : अज्ञेय मेघों को सहसा चिकनी अरुणाई छू जाती हैतारागण से एक शान्ति-सी छन-छन कर आती हैक्यों कि तुम हो।
- आसमां की अरुणाई का नील रंग मेरे अश्क को तुममे संजोया है विलग कैसे हो सकता भला एक अंग जब दो रूहों ने साथ साथ साँसें बटोरा है ।
- ' हारे को हरिनाम' से क्यों कि तुम हो : अज्ञेय मेघों को सहसा चिकनी अरुणाई छू जाती है तारागण से एक शान्ति-सी छन-छन कर आती है क्यों कि तुम हो।
- मैं दिखा , लजा गई अरुणाई ऐसी कुछ चमक सद्य : धुले चेहरे पर आई जैसे मन्दिर के ओस-भीगे कलश से सो के जगी ऊषा की , पहली-पहली किरण टकराई॥
- “सिन्दूरी संध्या , अरुणाई भोर और कजरारी रातें अमराई, पनघट चौपालें, पगडंडी, सारंगी के स्वर मौसम, रिश्ते, पूजा, वन्दन, मांझी गीत, शीश का टीका घिर आते घनश्याम, और इठला बतियाता कोई निर्झर”
- “सिन्दूरी संध्या , अरुणाई भोर और कजरारी रातें अमराई, पनघट चौपालें, पगडंडी, सारंगी के स्वर मौसम, रिश्ते, पूजा, वन्दन, मांझी गीत, शीश का टीका घिर आते घनश्याम, और इठला बतियाता कोई निर्झर”
- फौज में था ओज क्रांति अरुणाई छाई खिले- खुशियों के उर अरविंद वो अरुण था॥१॥ धैर्य शौर्य साहस था जिसमें असीम दीप सामना न कर सका कभी कोई रोष का ।
- झीनी सी कोहरे की चादर सुबह-शिशु को गरमास ओढाये है शिशु के कपोलों की लाली छिपती नहीं है कम्बल में अरुणाई की मादकता सुमन-सौरभ के भार से लदी छलकी जाती है जग में और जग की निष्ठुर क्रीडा चल रही है अनवरत . ..................
- झीनी सी कोहरे की चादर सुबह-शिशु को गरमास ओढाये है शिशु के कपोलों की लाली छिपती नहीं है कम्बल में अरुणाई की मादकता सुमन-सौरभ के भार से लदी छलकी जाती है जग में और जग की निष्ठुर क्रीडा चल रही है अनवरत . .....................