अर्थ बोध का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वह शब्द उनकी बुद्धि में पहले से न हो तो वक्ता उसके अभिव्यंजक ध्वनिरूप शब्द का उच्चारण नहीं करेगा और श्रोता को अर्थ बोध भी कभी नहीं होगा।
- चमत्कार की सृष्टि करने वाले द्वित्व वर्ण युक्त शब्दों का प्रयोग न होने से भाषा के स्वाभाविक प्रवाह एवं अर्थ बोध में कहीं भी शिथिलता नहीं आने पायी है।
- जिन शब्दों का व्यवहार में विशिष्ट अर्थ बोध के लिए प्रथम प्रयोग किसने किया , इस बात का पता नहीं चलता , ये शब्द अत्यन्त रूढ़ अथवा अनादिरूढ़ कहलाते हैं।
- जहां तक शाब्दिक अर्थ का प्रश्न है भुईयां ( भुई , पृथ्वी ) और भूमिज ( भूमि-पृथ्वी ) समानार्थी हैं एवं “ भूमि ” से संबंधित अर्थ बोध कराते हैं।
- मडि-आचारम् ' जैसे सांस्कृति शब्दों की व्याख्या दी जानी चाहिए थी क्योंकि हिंदी पाठकों के लिए ऐसे काफ़ी तेलुगु शब्द अपरिचित हैं जिस कारण पढ़ते समय अर्थ बोध में कठिनाई महसूस होती है।
- ‘ सातवीं बात यह है कि - सत्य का और शिल्प का जब द्वंद्व चलता है तभी कथ्य का अपना शिल्प तैयार हो जाता है और वही अर्थ बोध देने लगता है ।
- गीत संगीत लय ताल , अर्थ बोध व्यंजना सबकुछ भरा हुआ है कूट कूट के इस शख्शियत में , गीतों , गजलों का , आंचलिक रचनाओं का आप सच मुच में निगम हैं .
- गीत संगीत लय ताल , अर्थ बोध व्यंजना सबकुछ भरा हुआ है कूट कूट के इस शख्शियत में , गीतों , गजलों का , आंचलिक रचनाओं का आप सच मुच में निगम हैं .
- दलित शब्द के आशय के संदर्भ में डा . नरसिंहदास वणकर के अनुसार, ‘दलित शब्द से हिंदू जाति व्यवस्था तथा हिंदू जाति व्यवस्था द्वारा मान्य किये गये लोगों के समूह का अर्थ बोध होता है।
- कुछ प्राचीन दार्शनिक मानते थे कि असाधु शब्द से अर्थ बोध साक्षात् नहीं होता है , बल्कि असाधु शब्द सुनने पर तदर्थक साधु शब्द का स्मरण होता है और उस स्मृत साधु शब्दों से अर्थ ज्ञान होता है।