अविज्ञात का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शारदा तिलक का हवाला देते हुए पूज्यवर गायत्री की वाममार्गी साधना का स्वरूप भी स्पष्ट करते हैं व सावधानियाँ भी समझाते चले जाते हैं सावित्री , कुण्डलिनी व तंत्र तीनों ही गुह्यविज्ञान के ऐसे पक्ष है , जिनके सम्बन्ध में बहुत कुछ अविज्ञात रहा है ।
- गायत्री गीता , गायत्री स्मृति , गायत्री संहिता , गायत्री रामायण , गायत्री लहरी आदि संरचनाओं को कुरेदने से अंगारे का वह मध्य भाग प्रकट होता है , जो मुद्दतों से राख की मोटी परत जम जाने के कारण अदृश्य- अविज्ञात स्थिति में दबा हुआ पड़ा था।
- परा व अपरा विद्या की जननी गायत्री महामंत्र के जितने भी ज्ञात- अविज्ञात पक्ष हैं , उनको जन- जन के समक्ष प्रस्तुत कर एक प्रकार से समग्र मानव जाति का कायाकल्प करने , नूतन सृष्टि का सृजन करने का पुरुषार्थ इस ज्ञान के माध्यम से सम्पन्न हुआ है ।।
- इस बात की पुष्टि में ' योगी याज्ञवल्क्य ' में कहा गया है कि ' ' जो स्वयं अदृष्ट , अश्रुत , अमूर्त , अविज्ञात है वही अन्तर्यामी है , वही अमृत- स्वरूप है , और इसी कारण वह तुम्हारे मेरे और अन्य सबके आत्माओं का पूज्य है ।।
- इस बात की पुष्टि में ' योगी याज्ञवल्क्य ' में कहा गया है कि ' ' जो स्वयं अदृष्ट , अश्रुत , अमूर्त , अविज्ञात है वही अन्तर्यामी है , वही अमृत- स्वरूप है , और इसी कारण वह तुम्हारे मेरे और अन्य सबके आत्माओं का पूज्य है ।।
- यह साधारण मनुष्यों में प्रसुप्त अवस्था में अज्ञात पड़े रहते हैं , पर जब गायत्री उपासना द्वारा जागृत आत्मा इन अविज्ञात शक्ति केन्द्रों को को झकझोरता है तो वे भी जागृत हो जाते हैं और उनके भीतर जो आश्चर्य- जनक तत्व भी भरे पड़े हैं वे स्पष्ट हो जाते हैं ।।
- निष्कर्ष निर्धारण भी मनुष्य ने कम नहीं निकाले हैं , खोजें भी बहुत की हैं , अविज्ञात को भी विज्ञात में बदला है | इतने पर भी देखा जाता है कि भान्तियाँ कम नहीं हुईं , जिन मान्यताओं को अपनाकर लोग अपना स्वभाव बनाते और आचरण करते हैं उनमें से अधिकांश ऐसे होते हैं जिनके औचित्य पर संदेह किया जा सकता है- समझदारी का दावा करने वालों को नासमझ ठहराया जा सकता है |
- निष्कर्ष निर्धारण भी मनुष्य ने कम नहीं निकाले हैं , खोजें भी बहुत की हैं , अविज्ञात को भी विज्ञात में बदला है | इतने पर भी देखा जाता है कि भान्तियाँ कम नहीं हुईं , जिन मान्यताओं को अपनाकर लोग अपना स्वभाव बनाते और आचरण करते हैं उनमें से अधिकांश ऐसे होते हैं जिनके औचित्य पर संदेह किया जा सकता है- समझदारी का दावा करने वालों को नासमझ ठहराया जा सकता है |