अशरण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वस्तु स्वरूप के बार-बार चिन्तन का नाम अनुप्रेक्षा है उनमें नामों का क्रम इस प्रकार है - अध्रुव , अशरण, एकत्व, अन्यत्व, संसार, लोक, अशुचित्व, आस्रव, संवर, निर्जरा, धर्म और बोधि।
- जैन धर्म में भी बारह भावनाओं का महत्व है- अनित्य , अशरण , संसार , एकत्व , अन्यत्व , अशुचि , आश्रव , संवर , निर्जरा , लोक और धर्म भावना ।
- जैन धर्म में भी बारह भावनाओं का महत्व है- अनित्य , अशरण , संसार , एकत्व , अन्यत्व , अशुचि , आश्रव , संवर , निर्जरा , लोक और धर्म भावना ।
- वह जब चारों ओर से अत्राण और अशरण होकर असहाय हो जाता है , उस समय उसकी अंतमरुखी चेतना में चार प्रकार की शरण आविर्भूत होती है- अर्हत् , सिद्ध , साधु और धर्म।
- अशरण भावना अर्थात जिस प्रकार निर्जन वन में सिंह के पंजे में आये शिकार के लिए कोई शरण नहीं होती , उसी प्रकार सांसारिक प्राणियों की रोग व मृत्यु से रक्षा करने वाला कोई नहीं है।
- मैं हूँ स्वामी तुम्हारे ही अधिकार में कर लो स्वीकार प्रभु मेरा ‘पंकिल ' सुमन यदि जिऊँ तो तेरा नाम ले ले जिऊँ मुत्यु-क्षण में भी हो नाम तेरा स्मरण- मौन बैठे हो क्यो मेरे अशरण शरण।।
- कुछ टिपिकल आयातित शब्द हैं - रहिवासी , अगतिक , कोनशिला , अभंग , प्रभुत्व , अशरण , तंबू , खंदक , नारसिंह , कलंदर , अनागर , अंबारी , राजीनामा , हिंदीकरण , भाकरम् , कणा , चित्पावन।
- कुछ टिपिकल आयातित शब्द हैं - रहिवासी , अगतिक , कोनशिला , अभंग , प्रभुत्व , अशरण , तंबू , खंदक , नारसिंह , कलंदर , अनागर , अंबारी , राजीनामा , हिंदीकरण , भाकरम् , कणा , चित्पावन।
- वस्तु स्वरूप के बार-बार चिन्तन का नाम अनुप्रेक्षा है उनमें नामों का क्रम इस प्रकार है - अध्रुव , अशरण , एकत्व , अन्यत्व , संसार , लोक , अशुचित्व , आस्रव , संवर , निर्जरा , धर्म और बोधि।
- वस्तु स्वरूप के बार-बार चिन्तन का नाम अनुप्रेक्षा है उनमें नामों का क्रम इस प्रकार है - अध्रुव , अशरण , एकत्व , अन्यत्व , संसार , लोक , अशुचित्व , आस्रव , संवर , निर्जरा , धर्म और बोधि।