अश्मंतक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तब रघु ने कुबेर पर आक्रमण कर दिया तब कुबेर ने शमी एवं अश्मंतक पर स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा की थी तब से शमी व अश्मंतक की पूजा की जाती है।
- इष्टानां दर्शनं देहि शत्रूणां च विनाशनम्॥ पश्चात शमी या अश्मंतक के या दोनों के पत्ते लेकर उनमें पूजा स्थान की थोड़ी सी मृत्तिका , कुछ चावल तथा एक सुपारी रखकर कपड़े में बांध लें और कार्यसिद्धि की कामना से अपने पास रखें।
- इष्टानां दर्शनं देहि शत्रूणां च विनाशनम् ॥ पश्चात शमी या अश्मंतक के या दोनों के पत्ते लेकर उनमें पूजा स्थान की थोड़ी सी मृत्तिका , कुछ चावल तथा एक सुपारी रखकर कपड़े में बांध लें और कार्यसिद्धि की कामना से अपने पास रखें।
- शोधनीय वृक्ष - फल और मूल वाले पूर्वोक्त वृक्षों से भिन्न ये तीन वृक्ष और हैं १ स्नुही ( थोर ) २ अर्क ( आकडा ) ३ अश्मंतक ( कोविदार , पाषाण भेद , पत्थर चट्टा ) इनके कार्य भेद पृथक हैं .
- इस दिन के प्रमुख कर्तव्य हैं - अपराजिता पूजन , शमी पूजन , खंजम दर्शन , सीमोल्लंघन , शस्त्रपूजा , अश्मंतक या अपाती वृक्ष की पत्तियों का आदान - प्रदान , नीराजन , विजय और शान्ति कर्म , नववस्त्र धारण तथा विधारंभ | अब एक - एक करके सब बारे में विस्तार से बताते हैं | ..
- इस दिन के प्रमुख कर्तव्य हैं - अपराजिता पूजन , शमी पूजन , खंजम दर्शन , सीमोल्लंघन , शस्त्रपूजा , अश्मंतक या अपाती वृक्ष की पत्तियों का आदान - प्रदान , नीराजन , विजय और शान्ति कर्म , नववस्त्र धारण तथा विधारंभ | अब एक - एक करके सब बारे में विस्तार से बताते हैं | ..
- इस दिन के प्रमुख कर्तव्य हैं - अपराजिता पूजन , शमी पूजन , खंजम दर्शन , सीमोल्लंघन , शस्त्रपूजा , अश्मंतक या अपाती वृक्ष की पत्तियों का आदान - प्रदान , नीराजन , विजय और शान्ति कर्म , नववस्त्र धारण तथा विधारंभ | अब एक - एक करके सब बारे में विस्तार से बताते हैं | ..
- इस दिन के प्रमुख कर्तव्य हैं - अपराजिता पूजन , शमी पूजन , खंजम दर्शन , सीमोल्लंघन , शस्त्रपूजा , अश्मंतक या अपाती वृक्ष की पत्तियों का आदान - प्रदान , नीराजन , विजय और शान्ति कर्म , नववस्त्र धारण तथा विधारंभ | अब एक - एक करके सब बारे में विस्तार से बताते हैं | ..
- | शमी को देखकर आप कभी भी यात्रा कर सकते हैं , मुहूर्त का विचार करने की जरुरत नहीं रह जाती हैं | हेमाद्रि , तिथितत्व , निर्णय सिन्धु और धर्म सिन्धु में शमी पूजा के विस्तार दिए गए हैं | यदि शमी का पेड़ ना मिले तो अश्मंतक वृक्ष की पूजा की जा सकती हैं | दक्षिण भारत में इस वृक्ष को अपाती के नाम से जाना जाता हैं | गुजरात उससे लगे प्रदेशों और गोवा , दमन और दीव में अपाती के पत्तों को एक - दूसरे को देना शुभ माना जाता हैं |