आख़िरी वक़्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पारसौली में उस वक़्त सूरदास को वल्लभाचार्य , श्रीनाथ जी और गोसाई विट्ठलनाथ ने श्रीनाथ जी की आरती करते समय सूरदास को मौजूद न पाकर जान लिया कि सूरदास का आख़िरी वक़्त क़रीब आ गया है .
- 2 ) दोस्तो से उधार लेकर चल जाते हैं महीने के आखिरी दिन , तुमने एक हंसी उधार दी थी , आज तलक साबुत पड़ी है काश ! जिन्दगी का आख़िरी वक़्त जल्दी से आ धमके ...
- मुझे याद है , जब पहली बार मुंबई से लौटी थी तो पिताजी ने कहा था , ‘ एक्टिंग में तुम्हें तब तक काम मिलेगा जब तक तुम अच्छी दिखोगी , लेकिन पेंटिंग आख़िरी वक़्त तक तुम्हारा साथ देगी।
- ( 723) जिस इंसान का वज़ीफ़ा तयम्मुम हो अगर उसे इल्म हो कि आख़िरी वक़्त तक उस का उज़्र बाक़ी रहेगा या वह उज़्र के ख़त्म होने से मायूस हो तो वक़्त में गुंजाइश होते हुए भी वह तयम्मुम के साथ नमाज़ पढ़ सकता है।
- 478 अगर कोई औरत नमाज़ के आख़िरी वक़्त में हैज़ से पाक हो जाये और उसके पास अन्दाज़न इतना वक़्त हो कि वह ग़ुस्ल करके एक या एक से ज़्यादा रकत नमाज़ पढ़ सकती हो , तो ज़रूरी है कि ग़ुस्ल करके नमाज़ पढ़े और अगर न पढ़े तो उसकी क़ज़ा करे।
- मतलब यह कि ऐ बनी इस्त्राईल , तुम्हारे लोग हज़रत यअक़ूब अलैहिस्सलाम के आख़िरी वक़्त उनके पास मौजूद थे , जिस वक़्त उन्होंने अपने बेटों को बुलाकर उनसे इस्लाम और तौहीद यानी अल्लाह के एक होने का इक़रार लिया था और यह इक़रार लिया था जो इस आयत में बताया गया है .
- ख़ून से लत-पथ मैं ज़मीन पर आ गिरा . ... मेरी आँखे धीरे-धीरे बंद हो रही थी और उस आख़िरी वक़्त में भी मैं ख़ुदा को याद करने की बजाय अपनी गाड़ी में बैठे कलेक्टर साहब को देख रहा था और मन ही मन अफसोस कर रहा था की मैं उनकी सुरक्षा नहीं कर पाया .....
- सुबह के दर्द को रातों की जलन को भूलें किसके घर जायेँ कि उस वादा-शिकन को भूलें आज तक चोट दबाये नहीं दबती दिल की किस तरह उस सनम-ए-संगबदन को भूलें अब सिवा इसके मदावा-ए-ग़म-ए-दिल क्या है इतनी पी जायेँ कि हर रंज-ओ-मेहन को भूलें और तहज़ीब-ए-गम-ए-इश्क़ निबाह दे कुछ दिन आख़िरी वक़्त में क्या अपने चलन को भूलें
- मसलन अगर औरत की आदत महीने की तीसरी तारीख़ से दसवीं तारीख़ तक थी और अब उसे महीने की पहली तारीख़ से चौथी तारीख़ के आख़िरी वक़्त तक खून आये और दो दिन बंद रह कर फिर दोबारा पन्द्रहवीं तारीख़ तक ख़ून आये तो इस सूरत में पहला पूरा ख़ून हैज़ है और इसी तरह दूसरा वह ख़ून जो दसवीं तारीख़ के आख़िरी वक़्त तक आये वह भी हैज़ है।
- मसलन अगर औरत की आदत महीने की तीसरी तारीख़ से दसवीं तारीख़ तक थी और अब उसे महीने की पहली तारीख़ से चौथी तारीख़ के आख़िरी वक़्त तक खून आये और दो दिन बंद रह कर फिर दोबारा पन्द्रहवीं तारीख़ तक ख़ून आये तो इस सूरत में पहला पूरा ख़ून हैज़ है और इसी तरह दूसरा वह ख़ून जो दसवीं तारीख़ के आख़िरी वक़्त तक आये वह भी हैज़ है।