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आचरित का अर्थ

आचरित अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. ३ . धर्म के चार लक्षण हैं- १ . वेदों द्वारा प्रतिपादित २ . स्मृतियों द्वारा अनुमोदित ३ . महर्षियों द्वारा आचरित 4 . जहाँ किसी विषय में एक से अधिक मत हों वहाँ उस धर्म को अपनाने वाले व्यक्ति की आत्मा को प्रिय।
  2. भावार्थ : श्रीभगवान बोले- हे अर्जुन ! तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हुआ ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है , न स्वर्ग को देने वाला है और न कीर्ति को करने वाला ही है॥ 2 ॥
  3. मुनि के समक्ष अपनी जिज्ञासा रखते हुए उन्होंने कहा-‘महाराज ! हम धर्म जानना चाहते हैं?' इसपर भृगु जी ने उत्तर दिया-‘जो अच्छे विद्वान लोग हैं, जो सबके प्रति कल्याण-भाव रखते हैं, वे जो आचरण करते हैं, सेवित करते हैं, उनके द्वारा जो आचरित होता है, वही धर्म है।
  4. क्राइस्ट कोई ऐतिहासिक व्यक्ति था ही नहीं , अतः ‘ कृश्चियनिटी ' वास्तव में प्राचीन हिन्दू , संस्कृत शब्द कृष्ण-नीति का प्रचलित विभेद है , अर्थात वह जीवन-दर्शन जिसे भगवान कृष्ण , जिसे अँग्रेजी में विभिन्न प्रकार से लिखा जाता है , ने अवतार धरण कर प्रचलित , प्रीतिपादित अथवा आचरित किया था।
  5. इसलिए परंपरा से श्रेष्ठ पुरूषों द्वारा आचरित धर्म का अनुष्ठान करने वाले राजा का धनधान्य से पूर्ण राज्य ऐश्वर्य बढ़ाने वाला होकर निरंतर बढ़ता रहता है , और धर्म को तिलांजलि देकर अधर्म का आचरण करने वाले राजा का राज्य ऐसे सिकुड़ जाता है , जैसे आग में डाला हुआ चमड़ा सिकुड़ जाता है।
  6. ' अतीत के चलचित्र' और 'स्मृति की रेखाएं' में 'दुग्धदग्ध जगत' का दारुण रूप महादेवी ने जिस तरह प्रस्तुत किया है वह वेदना, पीड़ा और दुःख की प्रतीति को बुद्ध की तरह प्रेम और करुणा में बदल देता है, जो पीड़ा और दुःख के कारणों से मुक्ति के रास्ते ढूंढने तथा सांत्वना देने में आचरित हो जाता है.
  7. ÷ अतीत के चलचित्र ' और ÷ स्मृति की रेखाएं' में ÷ दुग्धदग्ध जगत' का दारुण रूप महादेवी ने जिस तरह प्रस्तुत किया है वह वेदना, पीड़ा और दुःख की प्रतीति को बुद्ध की तरह प्रेम और करुणा में बदल देता है, जो पीड़ा और दुःख के कारणों से मुक्ति के रास्ते ढूंढने तथा सांत्वना देने में आचरित हो जाता है।
  8. मुनि के समक्ष अपनी जिज्ञासा रखते हुए उन्होंने कहा - ‘ महाराज ! हम धर्म जानना चाहते हैं ? ' इसपर भृगु जी ने उत्तर दिया - ‘ जो अच्छे विद्वान लोग हैं , जो सबके प्रति कल्याण-भाव रखते हैं , वे जो आचरण करते हैं , सेवित करते हैं , उनके द्वारा जो आचरित होता है , वही धर्म है।
  9. ÷ अतीत के चलचित्र ' और ÷ स्मृति की रेखाएं ' में ÷ दुग्धदग्ध जगत ' का दारुण रूप महादेवी ने जिस तरह प्रस्तुत किया है वह वेदना , पीड़ा और दुःख की प्रतीति को बुद्ध की तरह प्रेम और करुणा में बदल देता है , जो पीड़ा और दुःख के कारणों से मुक्ति के रास्ते ढूंढने तथा सांत्वना देने में आचरित हो जाता है।
  10. बचपन से ही मुनि-चर्या को देखने , उसे स्वयं आचरित करने की भावना से ही बावडी में स्नान के साय पानी में तैरने के बहाने आसन और ध्यान लगाना, मन्दिर में विराजित मूर्ति के दर्शन के समय उसमे छिपी विराटता को जानने का प्रयास करना, बिच्छू के काटने पर भी असीम दर्द को हँसते हुए पी जाना, परंतु धार्मिक-चर्या में अंतर ना आने देना, उनके संकल्पवान पथ पर आगे बढने के संकेत थे।
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