आज्ञा मानना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बाप की आज्ञा मानना पुत्रा का धार्म है , यह मानता हूँ ; लेकिन जब बाप अन्याय करने लगे , तो लड़का उसका अनुगामी बनने के लिए बाधय नहीं।
- फिर आपकी आज्ञा मानना भी तेरा कर्तव्य है | आप किसी प्रकार की चिंता मत कीजिए | मैं आपकी कन्या को अपनी पत्नी बनाना स्वीकार करता हूं | ”
- वहीं रमपोल की शादी हिल्डा रमपोल ( Hilda Rumpole ) जिनके लिये रमपोल कहते है वह जिसकी आज्ञा मानना जरूरी है ( She Who Must Be Obeyed ) ।
- जैसा , स् त्री को अपने पति की , शिष् य को गुरू की , पुत्र को माता-पिता की आज्ञा मानना कर्तव् य-कर्म में दाखिल है , इसलिए मानना ही पड़ता है।
- यही ऋषि तर्पण है अर्थात् स्वाध्याय के द्वारा ऋषियों की पूजा यानी आज्ञा मानना तथा उनकी बात मानकर स्वयं स्वाध्याय करनाऔर ऋषियों-मुनियों-विद्वानों की आवश्यकताओं की पूर्ति करके उन्हें प्रसन्न करना भी उनका तर्पण है।
- यही ऋषि तर्पण है अर्थात् स्वाध्याय के द्वारा ऋषियों की पूजा यानी आज्ञा मानना तथा उनकी बात मानकर स्वयं स्वाध्याय करनाऔर ऋषियों-मुनियों-विद्वानों की आवश्यकताओं की पूर्ति करके उन्हें प्रसन्न करना भी उनका तर्पण है।
- जहां एक तरफ लड़कियों को पति की आज्ञा मानना और अपनी इच्छाओं को भूल जाना सिखाया जाता है वहीं दूसरी ओर लड़कों को परिवार का भावी मुखिया ठहराया जाता है और उनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है .
- लेकिन प्रभु यीशु का जीवन हमारे लिए उदाहरण है कि किस प्रकार परमेश् वर ने अपने एकलौते पुत्र को इस संसार में भेजा और जैसा संदर्भित पद में लिखा है कि पुत्र होने के बावजूद उसने दुःख उठा-उठाकर आज्ञा मानना सीखा।
- आगे कहा गया है कि , “प्राणियों का वध न करना, जीवहिंसा न करना, माता-पिता तथा बड़ों की आज्ञा मानना, गुरुजनों के प्रति आदर, मित्र, परिचितों, सम्बन्धियों, ब्राह्मण तथा श्रवणों के प्रति दानशीलता तथा उचित व्यवहार और दास तथा भृत्यों के प्रति उचित व्यवहार।”
- आगे कहा गया है कि , “प्राणियों का वध न करना, जीवहिंसा न करना, माता-पिता तथा बड़ों की आज्ञा मानना, गुरुजनों के प्रति आदर, मित्र, परिचितों, सम्बन्धियों, ब्राह्मण तथा श्रवणों के प्रति दानशीलता तथा उचित व्यवहार और दास तथा भृत्यों के प्रति उचित व्यवहार।”