आनन्दातिरेक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जब महाराज विराट ने यह सुना कि उनके पुत्र उत्तर ने समस्त कौरव-पक्ष के योद्धाओं को पराजित करके अपनी गायों को लौटा लिया है , तब वे आनन्दातिरेक में अपने पुत्र की प्रशंसा करने लगे।
- जब महाराज विराट ने यह सुना कि उनके पुत्र उत्तर ने समस्त कौरव-पक्ष के योद्धाओं को पराजित करके अपनी गायों को लौटा लिया है , तब वे आनन्दातिरेक में अपने पुत्र की प्रशंसा करने लगे।
- उसके भगोष्ठ का बाहरी भाग अत्यन्त मांसल था जिसे मैं देर तक चूसता रहा और दाँतों से भगोष्ठ-द्वार का गोश्त काटता-चबाता रहा , साथ ही परम स्वादिष्ट खट्टे चूतरस का आनन्दातिरेक के साथ नैसर्गिक सेवन करता रहा।
- " आदिम अवस्था में मानव आनन्दातिरेक में अपनी अनुभूति, भावनाओं तथा हर्षउल्लास को प्रकट करने के लिए उछल-कूद, मुख से भिन्न-भिन्न ध्वनियांनिकालना तथा अनेक शारीरिक क्रियायें किया करता था, जैसे-- जमीन पर पैरमारना, दोनों हाथों से ताली बजाना, पेट, छाती, जाँघों पर हाथ मारना आदि.
- मानो उस अलक्ष्य अगोचर अव्यपदेश्य अतीन्द्रिय ब्रह्म सत्ता की सच्चिदानन्दमयिता ही गुरु कृपा कटाक्ष से इन्द्रियगम्य , मनोगम्य , बुद्धिगम्य होकर इन्द्रिय मन बुद्धि सबको एक साथ ही अनुभूत हो रही थी ; सम्पूर्ण सूक्ष्म स्थूल शरीर आनन्द विभोर था ; बस आनन्द था , आनन्दातिरेक था और थे सम्मुख समासीन सद्गुरुदेव।
- मानो उस अलक्ष्य अगोचर अव्यपदेश्य अतीन्द्रिय ब्रह्म सत्ता की सच्चिदानन्दमयिता ही गुरु कृपा कटाक्ष से इन्द्रियगम्य , मनोगम्य , बुद्धिगम्य होकर इन्द्रिय मन बुद्धि सबको एक साथ ही अनुभूत हो रही थी ; सम्पूर्ण सूक्ष्म स्थूल शरीर आनन्द विभोर था ; बस आनन्द था , आनन्दातिरेक था और थे सम्मुख समासीन सद्गुरुदेव।
- उसकी सेवा के लिए स्थापित कक्षों में उसके लिए तैयार किए हुए नर्म कपड़ों और कीमती आभूषणों को देखकर उसके होंठों से फूटने वाली आनन्दातिरेक की उसकी चीख़ , और खुरदरे चर्म के कुरते और बकरी के चमड़े के खुरदरे लबादे को उतार फेंकते हुए उसके लगभग पागल हर्षोन्माद के बारे में उसके परिचारक प्राय : बात करते थे ।
- अचानक स्टैण्ड बदलकर , अम्बेडकर स्वाधीनता-प्राप्ति पर आनन्दातिरेक से भर उठे और “ एक हो जाने ” की घोषणा करते हुए न केवल कांग्रेस के साथ आ गये थे , बल्कि ( संकलित रचनाओं के सम्पादक वसन्त मून के शब्दों में ) वे “ संवैधानिक मामलों में कांग्रेस के मित्र , दार्शनिक और मार्गदर्शक बन गये थे ” ( उपरोक्त , पृ .
- अन्तर ही नहीं कर पाया कोई कि कौन-सा चाँद है और कौन-सा सूरज ? दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से मन-मस्तिष्क के तरल-तन्त्रिका-तत्वों के सरिता-सागर में इतना बड़ा , इतना विशाल ज्वार आया ... , आनन्दातिरेक छाया ... , मन मस्ताया ... , कुण्डलिनी जाग उठी .... सह्स्र-दल-कमल खिलने लगा ... ... ... बस ... शब्दों में कैसे ? ... आप स्वयं अनुभव की परिकल्पना कर सकते हैं ...
- अन्तर ही नहीं कर पाया कोई कि कौन-सा चाँद है और कौन-सा सूरज ? दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से मन-मस्तिष्क के तरल-तन्त्रिका-तत्वों के सरिता-सागर में इतना बड़ा , इतना विशाल ज्वार आया ... , आनन्दातिरेक छाया ... , मन मस्ताया ... , कुण्डलिनी जाग उठी .... सह्स्र-दल-कमल खिलने लगा ... ... ... बस ... शब्दों में कैसे ? ... आप स्वयं अनुभव की परिकल्पना कर सकते हैं ...