आबी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सूरज की लाल किरनों से एक तरफ आसमान पर गुले-लाला खिला हुआ था - बादल के लक् के , कोई सफेद , कोई आबी , कोई नीलगूँ , जरा-जरा से , मगर एक दूसरे से मिले हुए फैले थे , जैसे रंग-बिरंग की धुनकी हुई रुई।
- नदी बन कर मत मिलना , मिट जाओगी फिर कैसे खोजोगी अपना अस्तित्व ! रविन्दर भट्ठल * वे सुन नहीं सकते हालाँकि वे सुनना चाहते हैं पेड़ों और हवाओं के गीत दरियाओं का संगीत आबी परिंदों की आवाजें शहंशाह आलम की कविता शहंशाह आलम और »
- ना मैं आबी ना मैं ख़ाकी , ना मैं आतिश ना मैं पौन ना मैं भेत मज़ब दा पाया, ना मैं आदम-हव्वा जाया, ना कुछ अपणा नाम धराया, ना विच बैठण ना विच भौण अव्वल आख़र आप नूं जाणां, ना कोई दूजा आप सिआणा, बुल्ल्हिआ औह खड़ा है कोन?
- बुल्ल्हिआ , की जाणां मैं कौन?बुल्ल्हिआ, की जाणां मैं कौन?ना मैं मोमिन विच्च मसीतां,ना मैं विच्च कुफ़र दियां रीतां,ना मैं पाक आं विच पलीतां,ना मैं मूसा ना फिरऔनना मैं विच्च पलीती पाकी,ना विच शादी, ना ग़मना की,ना मैं आबी ना मैं ख़ाकी,ना मैं आतिश ना मैं पौनना मैं भेत मज़ब दा पाया,ना मैं आदम-हव्वा जाया,ना
- कन्पटी से सफ़ेद होते आसमां के दर्मियां मैं खड़ी थी एक नुक़्ते की तरह बेपनाह इस कायनात में कुहनियां टेके हुए रेलिंग पे मैं बहती मुम्बासा से बॉम्बे की तरफ एक तूफ़ां एक झुंड शार्क्ज़ का या व्हेल्स का फेल हो जाए जो इनजन ‘अमरा ' का या ये रेलिंग ही चटख़ जाए अगर एक आबी कब्र - बस !
- वे सुन नहीं सकते हालांकि वे सुनना चाहते हैं पेड़ों और हवाओं के गीत दरियाओं का संगीत आबी परिंदों की आवाजें शहंशाह आलम की कविताएँ कोशिश करें तो वे भी सुन सकते हैं सुनने की सारी चीजे हैं इसलिए वे शहर बहरे नहीं हैं हमीं ने उन्हें बहरा किया हुआ है अनंत काल से ! ============================= शहंशाह आलम की रचना।
- वे सुन नहीं सकते हालांकि वे सुनना चाहते हैं पेड़ों और हवाओं के गीत दरियाओं का संगीत आबी परिंदों की आवाजें शहंशाह आलम की कविताएँ कोशिश करें तो वे भी सुन सकते हैं सुनने की सारी चीजे हैं इसलिए वे शहर बहरे नहीं हैं हमीं ने उन्हें बहरा किया हुआ है अनंत काल से ! ============================= शहंशाह आलम की रचना।
- ओ कहलखिन , “सब जगह तापमान बढ़लाक कारण हिमनद सब घमी रहल अछि| ताहि पर स हिमालय पर विश्व के सबस उंच आ विशाल हिमनद सब स्थित छहि जे गर्मी स घमी रहल छहि | ओकर पानि हिमालय स निकलैत नदी सब में आबी गेल छहि | ताहि कारण स ई विपदा आयल छहि| आकर रोकय लेल नदी सबके किनार मज़बूत भेनाई बड आवश्यक अछि जाहि में सामान्य जनता वृक्षारोपण क अपन योगदान द