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आभ्यंतरिक का अर्थ

आभ्यंतरिक अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. जो मुझे उपरी तलछट में देखता है , वह मुझे सामान्य मनुष्य के रूप में देखता हैं , और जो मेरे आभ्यंतरिक जीवन को देखता है , वह मुझे ' योगीश्वर ' कहता है , ' संन्यासी ' कहता है।
  2. इन कविताओं की सामाजिक चेतना का ग्राफ भी अत्यंत सघन है , लेकिन ये कविताएं आभ्यंतरिक चेतना की कविताएं हैं और इन कविताओं में बाहरी दुनिया के दबावों का उत्स भी कहीं कवि की इसी आभ्यंतरिक चेतना में निहित है।
  3. इन कविताओं की सामाजिक चेतना का ग्राफ भी अत्यंत सघन है , लेकिन ये कविताएं आभ्यंतरिक चेतना की कविताएं हैं और इन कविताओं में बाहरी दुनिया के दबावों का उत्स भी कहीं कवि की इसी आभ्यंतरिक चेतना में निहित है।
  4. वे कहते हैं , जब कोई व्यक्ति आभ्यंतरिक दुनिया में अपने मन को उन्मुख करते हुए अग्रसर होता है तब वह अपने निज सत्यस्वरूप से जुड़ जाता और वह अपने आप में स्पष्ट हो जाता है कि वह परमात्मा का ही अंश है।
  5. वे कहते हैं , जब कोई व्यक्ति आभ्यंतरिक दुनिया में अपने मन को उन्मुख करते हुए अग्रसर होता है तब वह अपने निज सत्यस्वरूप से जुड़ जाता और वह अपने आप में स्पष्टï हो जाता है कि वह परमात्मा का ही अंश है।
  6. वे कहते हैं , जब कोई व्यक्ति आभ्यंतरिक दुनिया में अपने मन को उन्मुख करते हुए अग्रसर होता है तब वह अपने निज सत्यस्वरूप से जुड़ जाता और वह अपने आप में स्पष्ट हो जाता है कि वह परमात्मा का ही अंश है।
  7. उनका आभ्यंतरिक शरीर तो अपने-आप में चैतन्य , सजग , सप्राण , पूर्ण योगेश्वर का है , जिनको एक-एक पल का ज्ञान है और उस दृष्टि से वे हजारों वर्षों की आयु प्राप्त योगीश्वर हैं , जिनका यदा-कदा ही जन्म पृथ्वी पर हुआ करता है।
  8. उसके बाद एक हमलावर रक्त वाहिनी के लिए तंत्रिका की छानबीन की जाती है , और जब वह मिल जाता है, तो रक्त वाहिनी और तंत्रिका को एक छोटे पैड से अलग या “विसंपीड़ित” कर दिया जाता है, जो आम तौर पर टेफलन (Teflon) जैसी एक आभ्यंतरिक शल्य चिकित्सीय सामग्री से बना होता है.
  9. उष्णदेशीय आयुर्विज्ञान उन व्याधियों पर विशेष ध्यान देता है जो समशीतोष्ण किंतु अधिक उन्नत देशों में आभ्यंतरिक ( दबी हुई) रहती हैं; परंतु यक्ष्मा (तपेदिक), उपदंश आदि व्याधियों पर, जो विश्व में समान रूप से फैली हुई हैं, विशेष ध्यान नहीं देता, यद्यपि ये ही रोग इन देशों में होनेवाली अधिकांश मृत्युओं का कारण होते हैं।
  10. उष्णदेशीय आयुर्विज्ञान उन व्याधियों पर विशेष ध्यान देता है जो समशीतोष्ण किंतु अधिक उन्नत देशों में आभ्यंतरिक ( दबी हुई) रहती हैं; परंतु यक्ष्मा (तपेदिक), उपदंश आदि व्याधियों पर, जो विश्व में समान रूप से फैली हुई हैं, विशेष ध्यान नहीं देता, यद्यपि ये ही रोग इन देशों में होनेवाली अधिकांश मृत्युओं का कारण होते हैं।
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