आश्वमेधिक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ४ ९ ( इन्द्रियों से ग्रहण होने वाले विषयों की व्यक्त तथा न होने वालों की अव्यक्त संज्ञा का उल्लेख ; इन्द्रियों के नियन्त्रण से तृप्ति प्राप्त होने का उल्लेख ) , आश्वमेधिक २२ .
- अतः उक्त अंश आश्वमेधिक पर्व केपाठक का ध्यान सभापर्व में वर्णित कपट-द्यूत के अवसर पर दिये गये विदुरके उपदेशों की ओर एवं उद्योग पर्व में वर्णित प्रजागर पर्व अथवाविदुर-नीति की ओर आकर्षित करने हेतु पर्याप्त है .
- ( ई) शकुनापशकुन विचार-- आश्वमेधिक पर्व में जहाँ अधिकांश स्थलों पर ज्ञान एवं कर्म की प्रधानताही रही है वही दूसरी ओर कतिपय स्थल ऐसे भी हैं जिनसे आभास होता है कितत्का-~ लीन समाज में आडम्बर अथवा रूढ़िवादिता भी पनप रही थी.
- सम्भवतः ग्रन्थाकार ने इसअंश को आश्व-~ मेधिक पर्व में इसी उद्देश्य से रखा होगा कि यदि कोई पाठकसम्पूर्ण महा-~ भारत ग्रन्थ का पाठन न कर सके तो भी उसे आश्वमेधिक पर्व केअध्याय ६० के अध्ययन से महाभारत युद्ध की जानकारी प्राप्त हो जाये .
- २ ४ ( आत्मा व बुद्धि में सम्बन्ध प्रदर्शन के लिए इषीका व मुञ्ज के सम्बन्ध वाले सार्वत्रिक श्लोक ) , ३ ४ २ . ११ ५ ( नर द्वारा रुद्र के विघातार्थ इषीका को मन्त्रों से योजित करने पर इषीका का परशु बनना , रुद्र द्वारा परशु को खण्डित करने का उल्लेख ) , आश्वमेधिक १ ९ .
- २ ४ ( आत्मा व बुद्धि में सम्बन्ध प्रदर्शन के लिए इषीका व मुञ्ज के सम्बन्ध वाले सार्वत्रिक श्लोक ) , ३ ४ २ . ११ ५ ( नर द्वारा रुद्र के विघातार्थ इषीका को मन्त्रों से योजित करने पर इषीका का परशु बनना , रुद्र द्वारा परशु को खण्डित करने का उल्लेख ) , आश्वमेधिक १ ९ .
- उपसंहारव्यास कृत आश्वमेधिक पर्व की विषयवस्तु एवं उसमें प्राप्त विशेष दार्शनिकऐतिहासिक , सामरिक, साहित्यिक, यज्ञ-सम्बन्धी एवं आश्रम-व्यवस्था सम्बन्धीसामग्री को प्रस्तुत शोध-प्रबन्धक के पूर्व वर्णित अध्यायों मेंपृथक-पृथक रूप में यथाशक्ति समाविष्ट करने का प्रयास किया गया है तथापिकतिपय सामग्री ऐसी भी अवशिष्ट रह जाती है जिसे न तो निर्धारित अध्यायोंमें स्थान प्राप्त हो सका और न उसके लिए नवीन अध्यायों का ही सृजन कियाजाना सम्भव है.
- आश्वमेधिक पर्व में महर्षि व्यास द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने के लिए आवश्यक धन प्राप्त करने का उपाय युधिष्ठिर से बताना और यज्ञ की तैयारी , अर्जुन द्वारा कृष्ण से गीता का विषय पूछना, श्री कृष्ण द्वारा अनेक आख्यानों द्वरा अर्जुन का समाधान करना, ब्राह्मणगीता का उपदेश, अन्य आध्यात्मिक बातें, पाण्डवों द्वारा दिग्विजय करके धन का आहरण, अश्वमेध यज्ञ की सम्पन्नता, युधिष्ठिर द्वारा वैष्णवधर्मविषयक प्रश्न और श्रीकृष्ण द्वारा उसका समाधान आदि विषय वर्णित हैं।
- आश्वमेधिक पर्व में महर्षि व्यास द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने के लिए आवश्यक धन प्राप्त करने का उपाय युधिष्ठिर से बताना और यज्ञ की तैयारी , अर्जुन द्वारा कृष्ण से गीता का विषय पूछना, श्री कृष्ण द्वारा अनेक आख्यानों द्वरा अर्जुन का समाधान करना, ब्राह्मणगीता का उपदेश, अन्य आध्यात्मिक बातें, पाण्डवों द्वारा दिग्विजय करके धन का आहरण, अश्वमेध यज्ञ की सम्पन्नता, युधिष्ठिर द्वारा वैष्णवधर्म विषयक प्रश्न और श्रीकृष्ण द्वारा उसका समाधान आदि विषय वर्णित हैं।