इंतक़ाम का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वह ज़बरदस्त इंतक़ाम लेने वाला है।” “इंतक़ाम तो हम भी ले सकते हैं , सरकार।” नवाब शम्सुद्दीन अहमद ख़ाँ ने आरामचौकी के हत्थे पर ज़ोर से मुक्का मारकर ऊँची आवाज़ में कहा,”क्या कोई ऐसा नहीं जो उस काफ़िर दुष्ट फ्रेज़र को ठिकाने लगा देता कि मेरे जी को कुछ तस्कीन होती।” हर तरफ़ सन्नाटा सा छा गया।
- रफ़ी साहब की आवाज़ में फ़िल्म ' इंतक़ाम ' का यह गीत है “ जो उनकी तमन्ना है बरबाद हो जा , तो ऐ दिल मोहब्बत की क़िस्मत बना दे , तड़प और तड़प कर अभी जान दे दे , युं मरते हैं मर जानेवाले , दिखा दे जो उनकी तमन्ना है बरबाद हो जा ” ।
- रफ़ी साहब की आवाज़ में फ़िल्म ' इंतक़ाम ' का यह गीत है “ जो उनकी तमन्ना है बरबाद हो जा , तो ऐ दिल मोहब्बत की क़िस्मत बना दे , तड़प और तड़प कर अभी जान दे दे , युं मरते हैं मर जानेवाले , दिखा दे जो उनकी तमन्ना है बरबाद हो जा ” ।
- आप तो हिंदी की सेवा कर रहे थे ? आप तो समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए कोशिशें कर रहे थे ? बल्कि आप तो खुद हमें भी समझा रहे थे कि ‘ इंतक़ाम की नीति ठीक नहीं है ? ‘ अगर हमारे लिए ठीक नहीं है तो आप खुद इंतक़ाम लेने पर क्यों तुल गए जनाब ? बल्कि आप तो इंतक़ाम भी नहीं ले रहे हैं , आप तो सरासर जुल्म कर रहे हैं।
- आप तो हिंदी की सेवा कर रहे थे ? आप तो समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए कोशिशें कर रहे थे ? बल्कि आप तो खुद हमें भी समझा रहे थे कि ‘ इंतक़ाम की नीति ठीक नहीं है ? ‘ अगर हमारे लिए ठीक नहीं है तो आप खुद इंतक़ाम लेने पर क्यों तुल गए जनाब ? बल्कि आप तो इंतक़ाम भी नहीं ले रहे हैं , आप तो सरासर जुल्म कर रहे हैं।
- आप तो हिंदी की सेवा कर रहे थे ? आप तो समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए कोशिशें कर रहे थे ? बल्कि आप तो खुद हमें भी समझा रहे थे कि ‘ इंतक़ाम की नीति ठीक नहीं है ? ‘ अगर हमारे लिए ठीक नहीं है तो आप खुद इंतक़ाम लेने पर क्यों तुल गए जनाब ? बल्कि आप तो इंतक़ाम भी नहीं ले रहे हैं , आप तो सरासर जुल्म कर रहे हैं।
- पर जो भी हुआ इस ख़ामोश-लबी के साथ क्यूँ हुआ तुम कोई भगत सिंह तो थे नहीं ! कि जेल के दरो-दीवार तक इस फ़ैसले से बग़ावत कर उठते फिर ये एहतियात ये चुप्पा-घात क्यूँ? शायद इसलिए कि प्रतिशोध चाहे वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने ही क्यूँ न लिया हो कहीं न कहीं लज्जास्पद भी होता है क्या तुमसे इंतक़ाम लेकर कुछ घंटों के लिए ही सही आर्यावर्त शर्मसार हो गया था क़साब ! हत्या के बाद का चेतनालोप वह जो कुछ देर के लिए हत्यारे को शून्य कर देता है ...
- पर जो भी हुआ इस ख़ामोश-लबी के साथ क्यूँ हुआ तुम कोई भगत सिंह तो थे नहीं ! कि जेल के दरो-दीवार तक इस फ़ैसले से बग़ावत कर उठते फिर ये एहतियात ये चुप्पा-घात क्यूँ ? शायद इसलिए कि प्रतिशोध चाहे वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने ही क्यूँ न लिया हो कहीं न कहीं लज्जास्पद भी होता है क्या तुमसे इंतक़ाम लेकर कुछ घंटों के लिए ही सही आर्यावर्त शर्मसार हो गया था क़साब ! हत्या के बाद का चेतनालोप वह जो कुछ देर के लिए हत्यारे को शून्य कर देता है ...