इषीका का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ३ ५ १ से लगाया जा सकता है जहां इषीका / सींक को मृदा पिण्ड में घुसी हुई सींक कहा गया है ( जो मर्त्य मानुषी स्तर को एक साथ जोडे रखती है ) ।
- १ ० , २ . १ ३ ४ आदि में इषीका द्वारा मुञ्ज को त्यागने की तुलना अहि / सर्प द्वारा अपनी त्वचा को त्याग कर पापमुक्त होने से क्यों की गई है , यह अन्वेषणीय है।
- कठोपनिषद २ . ३ . १ ७ में कहा गया है कि हृदय में जो अङ्गुष्ठ मात्र पुरुष अन्तरात्मा है , उसको अपने शरीर से धैर्यपूर्वक इस प्रकार अलग करे जैसे मुञ्ज से इषीका को करते हैं।
- ब्राह्मण ग्रन्थों में इषीका को मुञ्ज से अलग करने का सार्वत्रिक उल्लेख है ( उदाहरणार्थ गोपथ ब्राह्मण २ . ४ . ६ , शतपथ ब्राह्मण १ २ . ९ . २ . ७ आदि। जैमिनीय ब्राह्मण ३ .
- १ ९ . २ ( गोपों की गायों का गर्मी से व्याकुल होकर इषीका / मुञ्ज वन में प्रवेश , मुञ्जवन में आग लगना , कृष्ण द्वारा गोपों आदि की दावानल से रक्षा का वृत्तान्त ) , मत्स्य १ ५ ३ .
- पुराण कथाओं में तारा द्वारा चन्द्रमा के वीर्य को इषीका स्तम्ब पर त्यागने से बुध की उत्पत्ति का कथन भी इषीका से मन के विकास की ओर संकेत करता है क्योंकि ज्योतिष में बुध ग्रह सामान्य स्तर पर मन की सामान्य वृत्तियों और उच्च स्तर पर बोध प्राप्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
- पुराण कथाओं में तारा द्वारा चन्द्रमा के वीर्य को इषीका स्तम्ब पर त्यागने से बुध की उत्पत्ति का कथन भी इषीका से मन के विकास की ओर संकेत करता है क्योंकि ज्योतिष में बुध ग्रह सामान्य स्तर पर मन की सामान्य वृत्तियों और उच्च स्तर पर बोध प्राप्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
- पुराणों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है किअथर्ववेद और ब्राह्मणों में इषीका के अग्नि से जलने के जो उल्लेख हैं , उनमें अग्नि कोई साधारण अग्नि नहीं है , अपितु वह तो शिव का वीर्य है , शिव की पापों को जलाने वाली शक्ति है जिससे सम्पर्क होने पर इषीका का वर्ण स्वर्णमय हो जाता है।
- पुराणों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है किअथर्ववेद और ब्राह्मणों में इषीका के अग्नि से जलने के जो उल्लेख हैं , उनमें अग्नि कोई साधारण अग्नि नहीं है , अपितु वह तो शिव का वीर्य है , शिव की पापों को जलाने वाली शक्ति है जिससे सम्पर्क होने पर इषीका का वर्ण स्वर्णमय हो जाता है।
- २ ४ ( आत्मा व बुद्धि में सम्बन्ध प्रदर्शन के लिए इषीका व मुञ्ज के सम्बन्ध वाले सार्वत्रिक श्लोक ) , ३ ४ २ . ११ ५ ( नर द्वारा रुद्र के विघातार्थ इषीका को मन्त्रों से योजित करने पर इषीका का परशु बनना , रुद्र द्वारा परशु को खण्डित करने का उल्लेख ) , आश्वमेधिक १ ९ .