ईक्षण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रथम अध्यायमें यह बतालाया गया है कि सृष्टि के आरम्भ में केवल एक आत्मा ही था , उसके अतिरिक्त और कुछ नहीं था उसने लोक-रचना के लिये ईक्षण (विचार) किया और केवल सकल्प से अम्भ, मरीचि और मर तीन लोकोंकी रचना की।
- ब्रहा और प्रकृति के नित्य व्याप्य व्यापक भाव-संबंध के कारण महाप्रलय के पश्चात पुन : जब ब्रहमा के ईक्षण द्वारा सर्ग का आविर्भाव होता है , तब अव्यक्त प्रकृति से सबसे पहले महा-आकाश , काल , दिशा के बाद महत तत्व प्रकट होता है।
- ‘ अपाणिपाद अव्यय पुरूष को यहां जो शीर्ष , अक्ष , बाहु , आदि से युक्त बताया गया है , उसका अभिप्राय ये है कि सृष्टि की प्रवृत्ति हेतु अव्यय पुरूष अनंत ज्ञान , अनंत ईक्षण , अनंत बल और अनंत क्रियावान हो जाता है।
- प्रथम अध्यायमें यह बतालाया गया है कि सृष्टि के आरम्भ में केवल एक आत्मा ही था , उसके अतिरिक्त और कुछ नहीं था उसने लोक-रचना के लिये ईक्षण ( विचार ) किया और केवल सकल्प से अम्भ , मरीचि और मर तीन लोकोंकी रचना की।
- वैवाहिक जीवन में सेक्स के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए उपनिषेदों में बताया गया है कि - जिस प्रकार महाभूतों का रस पृथ्वी है , उसी प्रकार पुरूष का रस वीर्य है, इसलिए प्रजापति ने ईक्षण किया कि यह वीर्य कितना सामथ्य शाली है, इसे यह पुरूष यों ही न बिगाडे, इसलिए इसकी प्रतिष्ठा बना दूं और उसने स्त्री को रचा।
- वैवाहिक जीवन में सेक्स के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए उपनिषेदों में बताया गया है कि - जिस प्रकार महाभूतों का रस पृथ्वी है , उसी प्रकार पुरूष का रस वीर्य है , इसलिए प्रजापति ने ईक्षण किया कि यह वीर्य कितना सामथ्य शाली है , इसे यह पुरूष यों ही न बिगाडे , इसलिए इसकी प्रतिष्ठा बना दूं और उसने स्त्री को रचा।
- ३ . एकोहम बहुस्याम - वैदिक सूक्त - “ स एकाकी नैव रेमे .... ” व “ कुम्भे रेत मनसो .... ” के अनुसार व्यक्त ब्रह्म हिरण्य गर्भ के सृष्टि हित ईक्षण - तप व ईषत - इच्छा - एकोअहम बहुस्याम - ( अब में एक से बहुत हो जाऊं -जो प्रथम सृष्टि हित काम संकल्प , मनो रेत : संकल्प था ) उस साम्य अर्णव में ' ॐ ' के अनाहत नाद रूप में स्पंदित हुई।