उच्छ्वसित का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सद्यजात उच्छ्वसित रूमानी संवेगों की शुरुआती बेकली और तीव्रता इनमें से पहले दौर की अनेक रचनाओं की संचालिका शक्ति है , जो ज्यादातर निजी किस्म की है और तेजी से चढ़ती और गिरती है।
- रस में देना बिता मदिर शर्वरी खुली पलको में कभी लगाकर मुझे स्निग्ध अपने उच्छ्वसित हृदय से , कभी बालकॉ-सा मेरे उर में मुख-देश छिपाकर? तब फिर आलोड़न निगूढ़ दो प्राणॉ की ध्वनियॉ का;
- युद्ध की अशान्ति के इन तीन-चार वर्षों में कितने ही अपरिचित चेहरे दीखे थे , अनोखे रूप ; उल्लसित , उच्छ्वसित , लोलुप , गर्वित , याचक , पाप-संकुचित , दर्पस्फीत मुद्राएँ ...
- युद्ध की अशान्ति के इन तीन-चार वर्षों में कितने ही अपरिचित चेहरे दीखे थे , अनोखे रूप ; उल्लसित , उच्छ्वसित , लोलुप , गर्वित , याचक , पाप-संकुचित , दर्पस्फीत मुद्राएँ ...
- सद्यजात उच्छ्वसित रूमानी संवेगों की शुरुआती बेकली और तीव्रता इनमें से पहले दौर की अनेक रचनाओं की संचालिका शक्ति है , जो ज्यादातर निजी किस्म की है और तेजी से चढ़ती और गिरती है।
- ठीक उसी समय दूसरे कमरे में से किसी के अट्टहास की उच्छ्वसित ध्वनि सुनाई दी ? दूसरे दिन सवेरे उपद्रव करने के अभिप्राय : से पटल ने यतीन के कमरे में जाकर देखा , कि कमरा सूना पड़ा है।
- जैसे चाँद को समुद्र सारे प्रयोजनों और व्यवहारों से परे करके देखकर अकारण ही उद्वेलित हो उठता है , सुचरिता का मन भी आज वैसे ही सब-कुछ भूलकर , सारी बुध्दि और संस्कार छोड़कर , अपने सारे जीवन का अतिक्रमण करके मानो चारों ओर उच्छ्वसित होने लगा।
- स्वर की उत्पत्ति में उपर्युक्त अव्यव निम्नलिखित प्रकार से कार्य करते हैं : फुफ्फुस जब उच्छ्वास की अवस्था में संकुचित होता है, तब उच्छ्वसित वायु वायुनलिका से होती हुई स्वरयंत्र तक पहुंचती है, जहाँ उसके प्रभाव से स्वरयंत्र में स्थिर स्वररज्जुएँ कंपित होने लगती हैं, जिसके फलस्वरूप स्वर की उत्पत्ति होती है।
- स्वर की उत्पत्ति में उपर्युक्त अव्यव निम्नलिखित प्रकार से कार्य करते हैं : फुफ्फुस जब उच्छ्वास की अवस्था में संकुचित होता है, तब उच्छ्वसित वायु वायुनलिका से होती हुई स्वरयंत्र तक पहुंचती है, जहाँ उसके प्रभाव से स्वरयंत्र में स्थिर स्वररज्जुएँ कंपित होने लगती हैं, जिसके फलस्वरूप स्वर की उत्पत्ति होती है।
- -यह क्या कह रही हो , शीला ? -बीच में ही योगेश बोल पड़ा-क्या यह-सब भी मुझसे कहने की बातें हैं ? मुझे तो दु : ख होता , यदि तुम अपने मास्टरजी के सामने इन आँसुओं को निकलने से पहले ही पी जातीं , अपने हृदय की व्यथा उच्छ्वसित होने से रोक लेती , अपने प्राणों की विह्वलता पर पर्दा डाल देती।