उपवीत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सूत्र युग में सूत के बने हुए जनेऊ का विकल्प का प्रचलन हुआ , नियम बना कि गृहस्थ को सदैव उत्तरीयका सुत्र उपवीत विधि से धारण करना चाहिए।
- इससे प्रकट है कि भारतीय नारियों ने अपने सहज धर्म- प्रेम को किसी न किसी रूप मंप जीवित रखा है और उपवीत को किसी न किसी प्रकार धारण किया है।
- चन्द्रमा की कला के समान सफेद शेषनाग और तीन धाराओं में विभक्त गंगा का प्रवाह ये दोनों उसके संसाररूपी वक्षस्थल में उपवीत और अवीत यज्ञोपवीतरूप ( ● ) में विद्यमान है।
- जलपात्र को जल और मिट्टी से अच्छी तरह धोकर विष्णु का स्मरण कर , शिखा को बांधकर , जनेऊ को उपवीत कर लें , अर्थात बाएँ कंधे पर रखकर दाये हाथ के नीचे कर लें ।
- जो लोग उपवीत धारण करने के अधिकारी नहीं कहे जाते , जिन्हें कोई दीक्षा नहीं देता , वे भी गले में तीन तार का या नौ तार का डोरा चार गाँठ लगाकर धारण कर लेते हैं।
- इस प्रकार के अविकसित व्यक्ति उपवीत की नित्य की सफाई का भी पूरा ध्यान रखने में प्राय : भूल करते हैं , जिससे शरीर का पसीना उसमें रमता रहता है , फलस्वरूप बदबू , गन्दगी , मैल और रोग- कीटाणु उसमें पलने लगते हैं।
- यज्ञ और संस्कारों द्वारा ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य बालक 6 , 8 अथवा 11 वर्ष की अवस्थाओं में गुरुकुलों में ले जाए जाते थे ( यज्ञोपवीत , उपनयन अथवा उपवीत ) और गुरु के पास बैठकर ब्रह्मचारी के रुप में शिक्षा प्राप्त करते थे।
- अब जनेऊ को गंभीरता से लेता ही कौन है ? जनेऊ है क्या ? यज्ञ + उपवीत = यज्ञोपतीत यज्ञ के समय पहना जानेवाला यज्ञ एवं उसके छोटे भाग , जिसे याग कहा जाता है , को संपन्न करने / कराने का अधिकार केवल ‘ द्विज ' को था , जिसका दुबारा जन्म हुआ हो।