उल्लू बनाना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शायद हमेशा से यही सीखा था की ये जादू , ये चमत्कार कुछ नहीं होता और जो लोग दिखाते हैं वो बस लोगों को उल्लू बनाना चाह रहे होते हैं, सो इसी वजह से ऐसे किसी भी खेल को मैंने उतनी ही
- कल्पित सुखों के लिए वास्तविक सुखों को छोड़ देने का आग्रह मेहनतकश जन को उल्लू बनाना नहीं तो क्या है ? डा . सेवा सिंह ने ठीक ही पहचाना है कि अरचनात्मक लोगों का ज्ञान भी और दर्शन भी अरचनात्मक ही होगा।
- अब वही खान साहब जब हो-हल्ला करके , खबर छपवा कर भी भानगढ़ नहीं आए तो फिर से समझ में आया कि कहीं हाजिर होके तो कहीं गैर-हाजिर रह कर उल्लू बनाना खान साहब का शौक नहीं , एक और ‘ पब्लिसिटी स्टंट ' है।
- पर मैं लोगों की अधीरता समझ सकझ सकता हूँ क्योंकि कानून इतना वक्त लगा देता है कि बात का मतलब ही नहीं रहता या फ़िर कानून को घुमा कर उल्लू बनाना शायद अधिक आसान है जबकि टेलीविज़न में दिखा कर “तुरंत न्याय” हो जाता है .
- पर मैं लोगों की अधीरता समझ सकझ सकता हूँ क्योंकि कानून इतना वक्त लगा देता है कि बात का मतलब ही नहीं रहता या फ़िर कानून को घुमा कर उल्लू बनाना शायद अधिक आसान है जबकि टेलीविज़न में दिखा कर “ तुरंत न्याय ” हो जाता है .
- उल्लू बनाना ' , ‘ अपना उल्लू सीधा करना ' , ‘ उल्लू का पट्ठा ' , ‘ काठ का उल्लू ' , ‘ उल्लू बोलना ' और ‘ उल्लू कि तरह ताकना ' आदि मुहावरे यह बताते हैं कि उल्लू हमारे रग रग में कितना रचा बसा है।
- हमें योर के रेगिस्तान में चौकीदार को उल्लू बनाना है , सीवरों से अपना रास्ता बनाते हुए पहुंचना है वारसा के केन्द्र तलक सम्राट हैरल्ड बटरपेट तक पहुंचना है और फौशे को मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने का इंतजार करना है केवल एकलपुल्को जा कर ही हम नए सिरे से सफ़र शुरू कर सकते हैं .
- पर मैं लोगों की अधीरता समझ सकझ सकता हूँ क्योंकि कानून इतना वक्त लगा देता है कि बात का मतलब ही नहीं रहता या फ़िर कानून को घुमा कर उल्लू बनाना शायद अधिक आसान है जबकि टेलीविज़न में दिखा कर “तुरंत न्याय” हो जाता है . पर एक बार टेलीविज़न में दिखाने के बाद, कुछ दिनों के हल्ले के बाद क्या होता है ?
- जब हम हँसते है तो वे उसके बाद भी ऐसे प्रश्नों की बौछार करना प्रारंभ कर देते है , जो हमारे पास उनको बताने की लिए जवाब ही नहीं होता और ऐसी स्थिति में हम उन्हें या तो डरा देते है या उन्हें उल्लू बनाना सीख जाते है लेकिन वे तो समझते ही है की यह गलत बातें बताई जा रही हैI
- लेकिन मैं यह सोच कर , देख कर सकते में हूं कि चलो , हमारे यहां की तो बात क्या करें , हम लोगों की जान की तो कीमत ही क्या है , लोगों को उल्लू बनाना किसे के भी बायें हाथ का खेल है लेकिन अमेरिका जैसे विकसित देश में भी अगर ये सब चीज़ें बिक रही हैं तो निःसंदेह यह एक बहुत संगीन मामला है।