ओकारांत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- खड़ी बोली और ब्रज भाषा में जो विशेषण और संबंधकारक के सर्वनाम आकारांत और ओकारांत मिलते हैं वे अवधी में अकारांत पाए जाते हैं।
- ओकारांत रहते हैं ८- पुल्लिंग बहुवचन में आकारान्त तथा स्त्रीलिंग दोनों वचनों में व्यंजनान्त आकारान्त , एकारांत, ऐकारांत, तथा ऐकारांत संज्ञाओं के पूर्व विशेषण इकारांत होते
- राजस्थानी के सबल पुलिंग शब्द हिन्दी की तरह आकारांत न होकर ओकारांत है : -हि. घोड़ा, रा. घोड़ी, हिं. गधा, रा. ग"द्दो, हिं. मोटा, रा. मोटो।
- अत : स्थानीय भाषाप्रयोगों में जो अधिकांश “न” के स्थान पर “ण” तथा अकारांत शब्दों की ओकारांत प्रवृत्ति लक्षित होती है, वह राजस्थानी प्रभाव का द्योतक है।
- ( 6) राजस्थानी के सबल पुलिंग शब्द हिंदी की तरह आकारांत न होकर ओकारांत है :-हि. घोड़ा, रा. घोड़ी, हिं. गधा, रा. ग"द्दो, हिं. मोटा, रा. मोटो।
- अत : स्थानीय भाषाप्रयोगों में जो अधिकांश “न” के स्थान पर “ण” तथा अकारांत शब्दों की ओकारांत प्रवृत्ति लक्षित होती है, वह राजस्थानी प्रभाव का द्योतक है।
- विशेषणों में ओकारांत शब्द विशेष्य के लिंग , कारक के तिर्यक् रूप, और वचन के अनुरूप बदलते हैं, जैसे सुठो छोकरो, सुठा छोकरा, सुठी छोकरी, सुठ्यनि छोकर्युनि खे।
- विशेषणों में ओकारांत शब्द विशेष्य के लिंग , कारक के तिर्यक् रूप, और वचन के अनुरूप बदलते हैं, जैसे सुठो छोकरो, सुठा छोकरा, सुठी छोकरी, सुठ्यनि छोकर्युनि खे।
- जैसे , कुत्ता (हिन्दी) - कुत्तो (राजस्थानी), पोमचा (हिन्दी) - पोमचो (राजस्थानी), •राजस्थानी भाषा में एक वचन के जो शब्द ओकारांत होते हैं वे बहुवचन में आकारांत हो जाते हैं।
- एक वचन तिर्यक में भी ओकारांत व कुछ औकारान्तक संज्ञाएँ कारकीय स्तिथि में बदलती रहती हैं और बदला हुवा रूप एक वचनीय संज्ञाओं के बहुवचन अविकारी के समान होते हैं .