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कँवारी का अर्थ

कँवारी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. ज्यादा महत्वाकांक्षी नही बस उसे सामने बैठ कर बातें करते देखने की ख्वाहिश भर . .मगर बेहद आवेगमय..कि चुन्नी की कँवारी खुशबू भर उसे पागल कर देती है..दिन-रात जलता हुआ...और बस छूने से जड़वत्..प्रस्तरखंड सा जम जाता है!..लेकिन यही प्रेम किसी कांच सा नाजुक और भंगुर भी होता है...जो शक की एक दरार भर पड़ने से पल भर मे छनछना कर टूटता है..
  2. मैं छाँव छाँव चला था अपना बदन बचाकर कि रूह को इक खूबसूरत सा जिस्म दे दूँ , न कोई सलवट, न दाग कोई, न धूप झुलसे न चोट खाये न जख्म छुए, न दर्द पहुँचे, बस एक कोरी कँवारी सुबह का जिस्म पहना दूँ रूह को मैं; मगर तपी जब दोपहर दर्दों की दर्द की धूप से जो गुजरा तो रूह को छाँव मिल गयी है;
  3. शालिनी : ओह , पारो भी साथ थी ? मैं : हाँ थी . शालिनी : तब तो तूने उसे - उसे - ? मैं : हाँ मैने उसे चोदा जी भर के . शालिनी : चूत भर के कहो . कैसी लगी उस की कँवारी चूत ? मैं : बहुत प्यारी . मेरा लंड भी कँवारा ही था ना ? शालिनी : अब क्या ? शादी करेगा उस से ?
  4. तो मेहन्दी का रंग लगना हैहाय , प्यार की रंगत से तेरा नाज़ुक अंग अंग सजना हैहै कौन सी ऐसी मजबूरीजो हुस्न करे ये मज़दूरीतुम्हारी कँवारी कलाई को ...महलों की तुम रानी हो, मैं प्रीत नगर का शहज़ादाबाँट लें हम क्यों न दोनो, धन अपना आधा आधाहम काम करें तुम, राज करोमंज़ूर तो हाथ पे हाथ धरोतुम्हारी कँवारी कलाई को ...गुस्से में जो उलझी है आओ तो वो लट मैं सुलझा दूँहाय, छेड़े जो ज़ुल्फ़ें तेरी उस शोख हवा को रुकवा दूँदेखो न यूँ आँखें मल-मल केपड़ जायेंगे धब्बे काजल केतुम्हारी कँवारी कलाई को ...
  5. तो मेहन्दी का रंग लगना हैहाय , प्यार की रंगत से तेरा नाज़ुक अंग अंग सजना हैहै कौन सी ऐसी मजबूरीजो हुस्न करे ये मज़दूरीतुम्हारी कँवारी कलाई को ...महलों की तुम रानी हो, मैं प्रीत नगर का शहज़ादाबाँट लें हम क्यों न दोनो, धन अपना आधा आधाहम काम करें तुम, राज करोमंज़ूर तो हाथ पे हाथ धरोतुम्हारी कँवारी कलाई को ...गुस्से में जो उलझी है आओ तो वो लट मैं सुलझा दूँहाय, छेड़े जो ज़ुल्फ़ें तेरी उस शोख हवा को रुकवा दूँदेखो न यूँ आँखें मल-मल केपड़ जायेंगे धब्बे काजल केतुम्हारी कँवारी कलाई को ...
  6. तो मेहन्दी का रंग लगना हैहाय , प्यार की रंगत से तेरा नाज़ुक अंग अंग सजना हैहै कौन सी ऐसी मजबूरीजो हुस्न करे ये मज़दूरीतुम्हारी कँवारी कलाई को ...महलों की तुम रानी हो, मैं प्रीत नगर का शहज़ादाबाँट लें हम क्यों न दोनो, धन अपना आधा आधाहम काम करें तुम, राज करोमंज़ूर तो हाथ पे हाथ धरोतुम्हारी कँवारी कलाई को ...गुस्से में जो उलझी है आओ तो वो लट मैं सुलझा दूँहाय, छेड़े जो ज़ुल्फ़ें तेरी उस शोख हवा को रुकवा दूँदेखो न यूँ आँखें मल-मल केपड़ जायेंगे धब्बे काजल केतुम्हारी कँवारी कलाई को ...
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