कंठ्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ये ध्वनियां हैं - फ़ द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ् / , ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है / ॅ / और कंठ्य ध्वनियां ख़ / द् / अघोष कंठ्य संघर्षी , और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़।
- ये ध्वनियां हैं - फ़ द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ् / , ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है / ॅ / और कंठ्य ध्वनियां ख़ / द् / अघोष कंठ्य संघर्षी , और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़।
- अर्थात्म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ , ननासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं-न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों केपूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्यनासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है.
- अर्थात्म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ , ननासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं-न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों केपूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्यनासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है.
- अर्थात्म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ , ननासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं-न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों केपूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्यनासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है.
- अर्थात्म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ , ननासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं-न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों केपूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्यनासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है.
- कंठ्य ( सं . ) [ सं-पु . ] ( व्याकरण ) ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण कंठ से हो , संस्कृत में क् , ख् , ग् , घ , ङ , ह और विसर्ग को कंठ्य माना गया है , हिंदी में ये कोमल तालव्य हैं।
- कंठ्य ( सं . ) [ सं-पु . ] ( व्याकरण ) ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण कंठ से हो , संस्कृत में क् , ख् , ग् , घ , ङ , ह और विसर्ग को कंठ्य माना गया है , हिंदी में ये कोमल तालव्य हैं।
- अर्थात् म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ , न नासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं - न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों के पूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्य नासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है।
- अर्थात् म-न-ण अर्थभेद प्रकार्य करने वाली नासिक्य ध्वनियां हैं जब कि अ एवं ञ , न नासिक्य के साथ परिपूरक वितरण में मिलती हैं - न का उच्चारण कंठ्य ध्वनियों के पूर्व कंठ्य नासिक्य अ के रूप में होता है तो तालव्य ध्वनियों के पूर्व तालव्य नासिक्य ञ ध्वनि के रूप में होता है।