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कवर्ग का अर्थ

कवर्ग अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. इसके लिए सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि किस अक्षर को कैसे बोला जाय ? जैसे “ अकुह विसर्जनीयानाम कंठः ” अर्थात अ , कवर्ग ( क , ख , ग , घ ) तथा ह का उच्चारण कंठ से किया जाता है .
  2. इसके लिए सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि किस अक्षर को कैसे बोला जाय ? जैसे “ अकुह विसर्जनीयानाम कंठः ” अर्थात अ , कवर्ग ( क , ख , ग , घ ) तथा ह का उच्चारण कंठ से किया जाता है .
  3. कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग आदि के अंतिम अक्षरों की जगह अनुस्वार के प्रयोग के बाद भी ध्वनि उस अंतिम वर्ण की ही आती है , खास तौर से इस तरह की बातों की ओर ध्यान आकृष्ट करना उनके फोनेटिक्स के गहरे ज्ञान को दर्शाता है .
  4. उच्चारण - कहा जाता है अरबी भाषा को कंठ से और अंग्रेजी को केवल होंठों से ही बोला जाता है किन्तु संस्कृत में वर्णमाला को स्वरों की आवाज के आधार पर कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग , तवर्ग , पवर्ग , अन्तःस्थ और ऊष्म वर्गों में बाँटा गया है।
  5. किंतु किसी वर्गीय वर्ण ( ‘ क ' से लेकर ‘ म ' तक के कवर्ग , चवर्ग आदि के वर्ण ) के पूर्व अनुस्वार नहीं प्रयुक्त होता बल्कि उसके स्थान पर संबंधित वर्ग का पांचवां वर्ण लिखा जाता है , जैसे अंक ( हिंदी में ) को संस्कृत में अङ्क लिखा जायेगा ।
  6. संस्कृत में किसी शब्द के अंतर्गत वर्णमाला के कवर्ग से पवर्ग तक के वर्णों ( अर्थात् ‘क' से ‘म' तक के वर्ण) के पूर्व अनुस्वार नहीं लिखा जाता है, बल्कि उसके स्थान पर संबंधित वर्ग का पांचवां वर्ण लिखा जाता है, जैसे कङ्कण (कड़ा या चूड़ी), कञ्चन (स्वर्ण), कण्टक (कांटा), कन्दर (गुफा), कम्पन (कांपना), आदि ।
  7. न कोई स्त्रीलिंग स्वर न व्यंजन ! एक तरफ़ से देख लो अ , आ , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ अं , अ : सबके सब मर्दलिंग ! इसके बाद कवर्ग , चवर्ग , तवर्ग , पवर्ग , टवर्ग , यवर्ग जिधर देखती हूं उधर पुल्लिंग ही पुल्लिंग दिखते हैं।
  8. सारे वर्गांत ( कवर्ग के अंत में ङ् , चवर्ग के अंत में ञ , टवर्ग के अंत में ण , तवर्ग के अंत में न , पवर्ग के अंत में म , ) अक्षरों का उच्चारण जिसे “ माहेश्वर सूत्र में सातवें सूत्र ” ञमङ्णनम ” के नाम से जाना गया है , का उच्चारण नाक से होता है।
  9. चूँकि अब “ ङ ” और “ ञ ” प्रायः सभी “ की बोर्ड ” से बाहर हैं और इनकी अनुनासिक ध्वनि अनुस्वार से काफ़ी निकटतम रूप से व्यक्त हो सकती है , इसलिए “ कवर्ग ” और “ चवर्ग ” के शब्दों जैसे गंगा , पंजाब , चंचल आदि शब्दों का सही उच्चारण अनुस्वार से निकल सकता है .
  10. क्या आप ने कभी ध्यान दिया है ? अभी बात आती है नवार्णव मंत्र “ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै ॐ ” क़ी . किसी भी स्वर ( अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ , अं , अ : ) के ऊपर लगने वाली बिंदी का उच्चारण “ म ” का न करें . बल्कि कवर्ग के अंत में जो ड.
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