कवित्वपूर्ण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- रंगमंच की पूरी जानकारी के बावजूद नाटक को साहित्यिक विधा के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेय शॉ को ही है सच्चाई यह है कि कवित्वपूर्ण भावना और बौद्धिक सूझबूझ , विदूषक वृत्ति और चिन्तक की वाक्-पटुता का जैसा अद्भुत सामंजस्य उसके नाटकों में मिलता है , वैसा कहीं और नहीं।
- बाद में द्रविड़ों ने , जो भावुकता प्रधान , ' कवित्वपूर्ण , रईसतबीयत , मणि-माणिक-लोभी , नगर रचने वाली और व्यापार करने वाली जाति थी - इस कल्पना को विकसित किया होगा और उन्होंने कल्पित किया होगा कि समुद्र-मंथन के साथ न केवल अमृत बल्कि तरह-तरह के अलभ्य रत्न भी निकले थे और पाताल लोक न केवल अमृत कुंभ का लोक है बल्कि ' भोगी ' जाति का चरम भोगलोक है , जहाँ मणि-माणिक माथे पर धारण करे रईसतबीयत नाग कुल अमृत पान करता है और सुख भोगता है और तब आर्यों का चिंताशील दार्शनिक मन आया होगा।
- बाद में द्रविड़ों ने , जो भावुकता प्रधान , ' कवित्वपूर्ण , रईसतबीयत , मणि-माणिक-लोभी , नगर रचने वाली और व्यापार करने वाली जाति थी - इस कल्पना को विकसित किया होगा और उन्होंने कल्पित किया होगा कि समुद्र-मंथन के साथ न केवल अमृत बल्कि तरह-तरह के अलभ्य रत्न भी निकले थे और पाताल लोक न केवल अमृत कुंभ का लोक है बल्कि ' भोगी ' जाति का चरम भोगलोक है , जहाँ मणि-माणिक माथे पर धारण करे रईसतबीयत नाग कुल अमृत पान करता है और सुख भोगता है और तब आर्यों का चिंताशील दार्शनिक मन आया होगा।
- बाद में द्रविड़ों ने , जो भावुकता प्रधान , ' कवित्वपूर्ण , रईसतबीयत , मणि-माणिक-लोभी , नगर रचने वाली और व्यापार करने वाली जाति थी - इस कल्पना को विकसित किया होगा और उन्होंने कल्पित किया होगा कि समुद्र-मंथन के साथ न केवल अमृत बल्कि तरह-तरह के अलभ्य रत्न भी निकले थे और पाताल लोक न केवल अमृत कुंभ का लोक है बल्कि ' भोगी ' जाति का चरम भोगलोक है , जहाँ मणि-माणिक माथे पर धारण करे रईसतबीयत नाग कुल अमृत पान करता है और सुख भोगता है और तब आर्यों का चिंताशील दार्शनिक मन आया होगा।