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काकड़ासिंगी का अर्थ

काकड़ासिंगी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. सामिग्री व निर्माण विधि- भटकटैया का पंचाग 500 ग्राम , काकड़ासिंगी 180 ग्राम , मुलहठी 25 ग्रा , अड़ूसा के पत्ते 10 ग्राम , पीपल 5 ग्राम , और मिश्री 1 किलो 500 ग्राम , सभी जौकुट करके मिश्री से अलग 1 लीटर पानी के साथ काड़ा बना लें।
  2. सामिग्री व निर्माण विधि- भटकटैया का पंचाग 500 ग्राम , काकड़ासिंगी 180 ग्राम , मुलहठी 25 ग्रा , अड़ूसा के पत्ते 10 ग्राम , पीपल 5 ग्राम , और मिश्री 1 किलो 500 ग्राम , सभी जौकुट करके मिश्री से अलग 1 लीटर पानी के साथ काड़ा बना लें।
  3. बच्चों हेतु नुस्खा इस प्रकार ह ै अतीस , नागरमोथा, काकड़ासिंगी, सोंठ और आम की गुठली से निकलने वाली गिरी (मींगी) इन पाँचों द्रव्यों को साबुत यानी बिना कूटे-पिसे ला कर, बारी-बारी से एक-एक द्रव्य को पानी के साथ, पत्थर पर चंदन की तरह 20 या 25 बार घिसकर पूरा लेप कटोरी में उतार लें।
  4. अड़ूसा या वासा या पियावासा जो भी आपके यहाँ कहते हों इसके पत्ते छाया में सुखाए हुये पत्तों की सफेद रंग की भस्म व मुलहठी का चूर्ण 50 - 50 ग्राम , काकड़ासिंगी , कुलींजन , और नागरमोथा तीनों का वारीक चूर्ण 10 - 10 ग्राम और सबको खरल करके एक जीव कर लें यह औषध तैयार है अब इसकी 1 से 2 ग्राम मात्रा शहद के साथ दिन में दो तीन बार लें अवश्य लाभ होगा।
  5. अड़ूसा या वासा या पियावासा जो भी आपके यहाँ कहते हों इसके पत्ते छाया में सुखाए हुये पत्तों की सफेद रंग की भस्म व मुलहठी का चूर्ण 50 - 50 ग्राम , काकड़ासिंगी , कुलींजन , और नागरमोथा तीनों का वारीक चूर्ण 10 - 10 ग्राम और सबको खरल करके एक जीव कर लें यह औषध तैयार है अब इसकी 1 से 2 ग्राम मात्रा शहद के साथ दिन में दो तीन बार लें अवश्य लाभ होगा।
  6. - डॉ . अजय कुमार रावत, वरिष्ठ वैज्ञानिक, नेशनल बॉटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ इन औषधियों का होता है प्रयोग च्यवनप्राश को तैयार करने में बेल, गनियार, गम्भारी, पाढल की छाल के अलावा बरियश मूल, सरिवन, पकिवन, वनमूंग, वनउड़द, पीपर, गोक्षरू, वनभष्टा, भटकैया, काकड़ासिंगी, भूमिआंवला, मुनक्का, जीवंती, पुष्करमूल, कालाअगर, बड़ी हरड़, गुड्ची, बड़ी इलायची, लाल चंदन, नील कमल, आडूसा की पत्ती, जीवक, ऋषभक, मेदा, मदामेदा, काकोली, क्षीर का कोली, ऋद्धि, बुद्धि और सबसे अधिक मात्रा में आंवले का प्रयोग होता है।
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