काम्पिल्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' , ' एक राजकुमार ... ' , ' एक दिवस .... ' , ' काम्पिल्य नगरी में एक धनी से ठ. .. ' , ' एक सुंदर राज कुमारी ' .
- कई महान संतों और भारत के साधु , और जमदग्नि , पराशर , वाल्मीकि , वेद व्यास , गर्ग , काम्पिल्य , आरुणि , भृगु , दुर्वासा सहित अनेक सन्तो का आश्रम था .
- कई महान संतों और भारत के साधु , और जमदग्नि , पराशर , वाल्मीकि , वेद व्यास , गर्ग , काम्पिल्य , आरुणि , भृगु , दुर्वासा सहित अनेक सन्तो का आश्रम था .
- यजुर्वेद 21 / 18 में काम्पील ( [[ Kampilya | काम्पिल्य ]] ) , ब्राहमणग्रंथों में कौषीतकि ब्राहमण 26 / 5 मन्त्र में , “ नैमिषीय ” छान्दोम्य उपनिषद् मन्त्र में नैमिषाराण्य का वर्णन है।
- उत्तर पाञ्चाल हिमालय से लेकर गंगा के उत्तरी तट तक था तथा उसकी राजधानी अहिछत्र थी , जिसके अवशेष रामनगर, उत्तराखण्ड के पास पाये गये हैं, तथा दक्षिण पाञ्चाल गंगा के दक्षिणी तट से लेकर चर्मनवती तक था और उसकी राजधानी काम्पिल्य थी।
- कापू समुदाय काम्पू जनजाति के वंशज हैं जो एक भारतीय-आर्य जनजाति है , ये लोग समूचे उत्तर प्रदेश और बिहार में फैले उत्तर भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में स्थित प्राचीन शहरों काम्पिल्य, मिथिला और अयोध्या से प्रवासित होकर यहाँ आये थे.
- २ ३ . ६ ३ ( रामाश्वमेध प्रसंग में राजा सुबाहु के पुत्र विक्रान्त तथा शत्रुघ्न - सेनानी राजा प्रतापाग्र्य द्वारा एक दूसरे पर बाणों द्वारा प्रहार ; विक्रान्त द्वारा छोडे गए बाणों की भक्ति से विमुख होने की संज्ञा ) , ६ . २ ० ६ . ५ ( पुष्पेषु : काम्पिल्य नगरी में पुष्पेषु ब्रह्मचारी के रूप पर स्त्रियों की आसक्ति का वर्णन ) , ब्रह्म १ .
- २ ३ . ६ ३ ( रामाश्वमेध प्रसंग में राजा सुबाहु के पुत्र विक्रान्त तथा शत्रुघ्न - सेनानी राजा प्रतापाग्र्य द्वारा एक दूसरे पर बाणों द्वारा प्रहार ; विक्रान्त द्वारा छोडे गए बाणों की भक्ति से विमुख होने की संज्ञा ) , ६ . २ ० ६ . ५ ( पुष्पेषु : काम्पिल्य नगरी में पुष्पेषु ब्रह्मचारी के रूप पर स्त्रियों की आसक्ति का वर्णन ) , ब्रह्म १ .
- यहाँ के प्राचीन तीर्थ स्थलों में भारद्वाज आश्रम , धौम्याश्रम , उत्कोचक सोमाश्रमायण तीर्थ एवं काम्पिल्य के साथ ही ऐतिहासिक नगरों में संकाश्या , भरेह , माकन्दी , विलसढ़ ( विलासगढ़ ) कपित्थक ( कथिया ) , सोरों , भोजपुर , असौली , जुझौरा , बिलराम , राजा का रामपुर , कुदरकोट , चकरनगर , मूसानगर , भीतर गाँव , जाजमऊ , कर्णपुर ( कानपुर ) शिवराज पुर , तथा आंवला की बस्तियाँ महत्वपूर्ण थीं।