कायफल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसके बनाने मे केवल चार आयुर्वेदिक द्रव्यों का उपयोग करते है / ये चार द्रव्य हैं , कायफल और पोहकर मूल और काकड़ा सिन्गी और पीपल / इन्हे पहले लोहे के खरल में डालकर छोटे छोटे टुकड़े कर ले, फिर मिक्सी में या खरल में डालकर महीन चूर्ण बना लें /
- योग : पाठा, जामुन और आम की गुठली की गिरि, पाषाण भेद, रसौत, अंबष्ठा, मोचरस, मजीठ, कमलकेसर, नागकेसर (केसर की जगह), अतीस, नागरमोथा, बेलगिरि, लोध, गेरू, कायफल, काली मिर्च, सोंठ, मुनक्का, लाल चन्दन, सोना पाठा (श्योनाक या अरलू) की छाल, इन्द्र जौ, अनंत मूल, धाय के फूल, मुलहठी और अर्जुन की छाल।
- हारी -बीमारी में हरड , आंवला , पीपल , जायफल , कायफल इत्यादि से दवा बनाकर दादी नानी खिला देती थी ! लेकिन अब तो बिमारियों कि पूछो मत ! मधुमेह और रक्तचाप का तो यह हाल है जैसे घरों में छिपकली ! हर तीसरा आदमी मधुमेह और रक्तचाप के चक्कर में खान पान छोड़ कर दरिद्रो जैसी जिन्दगी जी रहा है !
- हारी -बीमारी में हरड , आंवला , पीपल , जायफल , कायफल इत्यादि से दवा बनाकर दादी नानी खिला देती थी ! लेकिन अब तो बिमारियों कि पूछो मत ! मधुमेह और रक्तचाप का तो यह हाल है जैसे घरों में छिपकली ! हर तीसरा आदमी मधुमेह और रक्तचाप के चक्कर में खान पान छोड़ कर दरिद्रो जैसी जिन्दगी जी रहा है !
- १ ५ . - अजवायन ८ तोले , हरड़ की छाल , विड नमक , कत्था , सैंधा नमक , हल्दी भारंगी की जड़ , इलायची , सुहागा , कायफल , अडूसा , अपामार्ग की जड़ , जवाखार और सज्जीखार - ये सब चार चार तोले , आक के फूल सूखे हुए १ ६ तोले सबका बारीक चूर्ण करके घीग्वार के रस में घोटें ।
- १ ५ . - अजवायन ८ तोले , हरड़ की छाल , विड नमक , कत्था , सैंधा नमक , हल्दी भारंगी की जड़ , इलायची , सुहागा , कायफल , अडूसा , अपामार्ग की जड़ , जवाखार और सज्जीखार - ये सब चार चार तोले , आक के फूल सूखे हुए १ ६ तोले सबका बारीक चूर्ण करके घीग्वार के रस में घोटें ।
- छोटी इलायची , शतावर , विदारीकंद , सफेद मूसली , गोखरु , बला मूल , गिलोयसत्व , तेजपात , अजवायन , तालीसपत्र , अजमोद , सौंफ , रासना , पोहकर मूल , वंशलोचन , देवदारु , सोयाबीन , कचूर , जटामासी , वच , मोचरस , सफेद चन्दन , लालचन्दन , वायविडंग , खस , वासा , धनिया , कायफल , नागरमोथा ये सभी औषधियाँ 24 -24 ग्राम लेनी हैं।
- छोटी इलायची , शतावर , विदारीकंद , सफेद मूसली , गोखरु , बला मूल , गिलोयसत्व , तेजपात , अजवायन , तालीसपत्र , अजमोद , सौंफ , रासना , पोहकर मूल , वंशलोचन , देवदारु , सोयाबीन , कचूर , जटामासी , वच , मोचरस , सफेद चन्दन , लालचन्दन , वायविडंग , खस , वासा , धनिया , कायफल , नागरमोथा ये सभी औषधियाँ 24 -24 ग्राम लेनी हैं।
- 4 . अनार की 40 ग्राम खूब महीन पिसी हुई छाल को आक के दूध में गूंथ में कर रोटी की तरह नरम आंच से पकालें , फिर से सुखाकर बहुत महीन पिसी हुई छाल को आक के दूध में गूंथ कर रोटी की तरह नरम आंच से पकालें , फिर इसे सुखाकर बहुत महीन पीसकर , जटामांसी , छरीला , 3 - 3 ग्राम , इलायची और कायफल डेढ़-डेढ़ ग्राम मिलाकर नसवार बनालें।
- योग : पाठा , जामुन और आम की गुठली की गिरि , पाषाण भेद , रसौत , अंबष्ठा , मोचरस , मजीठ , कमलकेसर , नागकेसर ( केसर की जगह ) , अतीस , नागरमोथा , बेलगिरि , लोध , गेरू , कायफल , काली मिर्च , सोंठ , मुनक्का , लाल चन्दन , सोना पाठा ( श्योनाक या अरलू ) की छाल , इन्द्र जौ , अनंत मूल , धाय के फूल , मुलहठी और अर्जुन की छाल।