काष का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- देख रहा हू इस षहर में बहुत मंहगायी है कमजोरियों का फायदा उठाने को तैयार है- इस षहर के लोग सूनी-सूनी सी है जिन्दगी षोशण के अंधकार में काष ! कोर्इ साथी मिल जाये पथ प्रदर्षक बन जो जिन्दगी में खुषियां लाये हूं अजनबी इस षहर में ।।
- पता नहीं वैज्ञानिक इस तरह का यंत्र , गोली अथवा टीका बनाने के बारे में सोच विचार कर भी रहें है अथवा नहीं ? काष ! कभी कोई ऐसा चमत्कार सामने आ जाय जो दुनिया से भ्रष्टाचार और बेईमानी को हमेषा हमेषा के लिए खत्म कर दें //////////////////////////////////////////
- पता नहीं वैज्ञानिक इस तरह का यंत्र , गोली अथवा टीका बनाने के बारे में सोच विचार कर भी रहें है अथवा नहीं ? काष ! कभी कोई ऐसा चमत्कार सामने आ जाय जो दुनिया से भ्रष्टाचार और बेईमानी को हमेषा हमेषा के लिए खत्म कर दें //////////////////////////////////////////
- काष ! मेरी बेटी को इतना सुख दे, इतनी शक्ति दे कि उसको इन परंपराओं को न निभाना पड़े - मेरी बेटी अब अबला नहीं रही, पढ़ी लिखी सबला नारी है, वो जरूर दहेज जैसे दानव से लड़ेगी - अपनी बेटी के लिए-मेरी ऑंखों में चमक लौट आती है -पैरों की थिरकन मचलने लगती है -।
- वह वक़्त होगा जब क़ुरैष को यह आरज़ू होगी के काष दुनिया और उसकी तमाम दौलत देकर एक मन्ज़िल पर मुझे देख लेते चाहे सिर्फ़ इतनी ही देर के लिये जितनी देर में एक ऊँट नहर किया जाता है ताके मैं उनसे इस चीज़ को क़ुबूल कर लूं जिसका एक हिस्सा आज मांगता हूँ तो वह देने के लिये तैयार नहीं हैं।
- बैठक मे ं श्री जे . बी . सिंह उप कार्य क्रम सलाहकार , भारत सरकार राष्ट्र ीय से वा योजना क्षेत्रीय केन्द्र लखनऊ डा 0 एस . बी . सिंह राज्य सम्पर्क अधिकारी राष्ट्र ीय सेवा योजना उत्तर प्र देष सचिवालय लखनऊ तथा वेद प्र काष प्र भारी ( मीडिया एवं स्वीप ) अधिकारी कार्या लय मु ख्य निर्वा चन अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
- काष इन्सान इन एहसानात का एहसास करता और इसे यह अन्दाज़ा होता के इसके मालिक ने उसे किस क़दर अज़ीम क़रार दिया था के इसके क़याम व इस्तेक़रार के लिये ज़मीन व आसमान सब को मुन्क़लिब कर दिया और उसने अपने को इस क़द्र ज़लील कर दिया के एक-एक ज़र्रा कायनात और एक एक चप्पा ज़मीन के लिये जान देने को तैयार है और अपनी क़द्र व क़ीमत को यकसर नज़रअन्दाज़ किये हुए है।
- काष ! मेरी बेटी को इतना सुख दे , इतनी शक्ति दे कि उसको इन परंपराओं को न निभाना पड़े - मेरी बेटी अब अबला नहीं रही , पढ़ी लिखी सबला नारी है , वो जरूर दहेज जैसे दानव से लड़ेगी - अपनी बेटी के लिए - मेरी ऑंखों में चमक लौट आती है - पैरों की थिरकन मचलने लगती है - । ( ) ( ) ( ) पुन : परिकल्पना पर वापस जाएँ
- जब तक टेलीफोन टेप नाहो सभा सोसायटी में रूतबा नही बढतालडकें का कहना है कि काष ! कभी हमारें यहां सीबीआई या इन्कमटैक्स का छापा भी पडा होता तो अगले रोज देष के प्रमुख अखबारों में सुर्खियों में पिताजी का नाम होता औेर उनकी प्रसिद्धि में चार चांद लग जाते और मुझे-यानि मेरे लडकें को- लोग सभा-सोसाइटी , कैफे आदि में कनखियों से देखते हुए कहते ‘ यह उन्ही का लडका है जिनके यहां सीबीआई का छापा पडा था .
- डन लोगों ने गुमराही के रास्तों पर चलने और हिदायत के रास्तों को छोड़ने के लिये दाहिने बायें रास्ते इख़्तेयार कर लिये हैं मगर तुम इस अम्र में जल्दी न करो जो बहरहाल होने वाला है और जिसका इन्तेज़ार किया जा रहा है और उसे दूर न समझो जो कल सामने आने वाला है के कितने ही जल्दी के तलबगार जब मक़सद को पा लेते हैं तो सोचते हैं के काष उसे हासिल न करते , आज का दिन कल के सवेरे से किस क़द्र क़रीब है।