कुंतक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वक्रोक्ति सिद्धांत के प्रवर्तक कुंतक ने अपने ग्रंथ वक्रोक्ति जिवितम् में वक्रोक्ति को काव्य की आत्मा के रूप में स्वीकार किया है।
- लेकिन कुंतक , महिमभट्ट , क्षेमेन्द्र आदि आचार्यों के अनुसार कारिका भाग और वृत्ति भाग दोनों के प्रणेता आचार्य आनन्दवर्धन ही हैं।
- इसके अलावा यह भी सर्वज्ञात है कि कुंतक जो कि एक वक्रोक्ति आचार्य है , वह अपने बात को तेढ़े-मेढ़े से कहते है .
- भीतर का कवि जो बंधन में छटपटा रहा था , मुक्त हो जाता है और तब मुझे आचार्य आनंदवर्धन और कुंतक की याद आती है।
- उनके परवर्ती कुंतक ने वक्रोक्ति को एक संपूर्ण सिद्धांत के रूप में विकसित कर काव्य के समस्त अंगों को उसके अंदर समाविष्ट कर लिया।
- आचार्य कुंतक ने वक्रोक्ति के भेदों एवं उपभदों के अंतगर्त शब्द एवं अर्थ उत्पन्न होने वाली विच्छति के नियामक तत्त्वों का सुक्ष्म विश्लेषण भाषा के धरातल पर आधारित है।
- काव्यशास्त्र के विद्वान और अलंकारों के सिद्धांतकार आचार्य कुंतक की आत्मा अगर स्वर्ग में होगी तो अपने अनुप्रास अलंकारों के इस नए अवतार को देखकर खुश हो रही होगी।
- काव्यशास्त्र के विद्वान और अलंकारों के सिद्धांतकार आचार्य कुंतक की आत्मा अगर स्वर्ग में होगी तो अपने अनुप्रास अलंकारों के इस नए अवतार को देखकर खुश हो रही होगी।
- ( 4) वक्रोक्ति संप्रदाय की उद्भावना का श्रेय आचार्य कुंतक को (10 वीं शताब्दी का उत्तरार्ध) है जिन्होंने अपने “वक्रोक्ति जीवित” में “वक्रोक्ति” को काव्य की आत्मा (जीवित) स्वीकार किया है।
- कुंतक ( १ ००० ई . ) ने वक्रोक्ति जीवित में ' वक्रोक्तिः काव्यजीवितम ' कहकर उक्ति वैचित्र्य , कथन का अनूठापन आदि को काव्य माना है . ५ ४