कुलधर्म का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कुल के क्षय हो जाने पर कुल के सनातन ( सदियों से चल रहे ) कुलधर्म भी नष्ट हो जाते हैं।
- इस सम्बन्ध में आश्व ० एवं बौधा ० का कहना है कि केशों का संचयन कुलधर्म के अनुरुप किया जाना चाहिए।
- हे जनार्दन , कुलधर्म भ्रष्ट हुये मनुष्यों को अनिश्चित समय तक नरक में वास करना पडता है , ऐसा हमने सुना है।
- हे जनार्दन , कुलधर्म भ्रष्ट हुये मनुष्यों को अनिश्चित समय तक नरक में वास करना पडता है , ऐसा हमने सुना है।
- जब कहीं भी इस विश्वधर्म से गृहधर्म , कुलधर्म , समाज धर्म या लोक धर्म टकराता है तो तुलसी विश्वधर्म का ही चयन करते हैं।
- जब कहीं भी इस विश्वधर्म से गृहधर्म , कुलधर्म , समाज धर्म या लोक धर्म टकराता है तो तुलसी विश्वधर्म का ही चयन करते हैं।
- पारस्करगृह्यसूत्र * के मत से उपनयन गर्भाधान या जन्म से आठवें वर्ष में होना चाहिए , किन्तु इस विषय में कुलधर्म का पालन भी करना चाहिए।
- गीता के प्रारम्भ मे श्री अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से शंका प्रकट की हैं की जब कुल के नाश से कुलधर्म का भी नाश होता है तो “
- कुलधर्म ( सं . ) [ सं-पु . ] ऐसा आचरण , रीति या कर्तव्य जिसका पालन या अनुसरण किसी कुल या परिवार के सभी लोग परंपरा से करते चले आ रहे हों ; किसी कुल में अनिवार्य माने जाने वाले नियम या कानून।
- हे कृष्ण ! पाप के अधिक बढ़ जाने से कुल की स्त्रिया अत्यंत दूषित हो जाती हैं , और हे कृष्ण स्त्रीयों के दूषित हो जाने से वर्ण संकर उत्पन्न होता है ” अध्याय १ श्लोक ४ १ ” इन वर्णसंकरकारक दोषों से कुलघातियो के सनातन कुलधर्म और जातिधर्म नष्ट हो जाते हैं ” अध्याय १ श्लोक ४ ३ भगवान् श्री कृष्ण ने स्त्रीयों को भगवत प्राप्ति का पूर्ण अधिकार के बारे में निम्नवत कहा है . ”