खनखन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मांग भरी थी उसने कल ही दुल्हन की , खनखन भी पूरी न सुनी थी कंगन की, चाँद सरीखा मुखड़ा तक न देख सका, एक रात की अंगडाई तक नहीं रुका, रुनझुन करती पायल के स्वर मौन हुए, सिहरन ने भी होंठ हृदयके नहीं छुए, भरी गुलाबों की डाली को भूल गया, फांसी के फंदे पर जाकर झूल गया, ऐसे अमर शहीद का तुम वंदन करना, सौ-सौ नहीं हजारों अभिनन्दन करना।
- बात में बरखा आओ बात को बादल कर दें एक हम पागल एक तुम पागल आओ रात को पागल कर दें तीखी खट्टी इमली जैसी चार सौ चालीस बिजली जैसी रंग बिरंगी फुदक रही है देखो बातें तितली जैसी घंटी की टनटन सी बातें चूडी की खनखन सी बातें धकधकधकधक धकधकधकधक है चलती धड़कन सी बातें लैला मजनू हीर की बातें गालिब फैज़-ओ-मीर की बातें कुछ छोटे किस्से ' ऑफिस' के कुछ फूटी तकदीर की बातें जेवर वाली;
- मेरी किस्मत मे लिख दो एक टुकड़ा चाँदनी अँधियारी रातों को लिख दो अलसाये फ़ागुन के दिन कुछ सपने सतरंगे मीठी नींद ज़रा सी रुनझुन पायल चूड़ी खनखन थोड़े से झूले सावन के सुबह के हवा की खुशबू चटकीले बादल के रंग पहली बारिश का सोंधापन आग बरसते आसमान में पल भर छाया शीतल लिख दो ठिठुरते दिनो मे लिख दो आँगन भर भर धूप प्रियतम एक मधुमास लिख दो मेरे नाम मन मंदिर में अपने लिख दो मेरा नाम
- माथे की बिंदिया , बैनी काली पूछ रही, चहक-चहक बतियाने वाली, क्योँ रहती खोयी-खोयी नहीं पिया मुझको हक़ कोंई आसान कितना होता है ख्वाबों में संसार बसाना अपनी चूड़ी की खनखन में उसकी धड़कन का घुल मिल जाना एक नज़र की खातिर जीना एक नज़र मर जाना एक नज़र की चाहत में मैं सुबह तलक न सोयी नहीं पिया मुझको हक़ कोंई............ जै जै कुर्सी मैया मनमोहन कुर्सी बचाइए, बिन कुर्सी सब सून, कुर्सी के बिन नहीं मिले, सोनिया को सुकून।
- लम्बमान चंचल जटाओं में चन्द्रमा से लांछित महादेव जी के मुण्डों से , जो तीन नेत्रों के बड़े बड़े छिद्रों से निकल रहे विपुल भाँय-भाँय शब्द से भयंकर प्रतीत होते हैं , विकसित मन्दार के पुष्पों से शोभित श्रीपार्वती जी के केशरूपी चँवरों से , ताण्डव के समय पर्वताकार हुए संहारभैरव के उदररूपी तुम्बों से और एक हजार सात छेदों ( ‡ ) से युक्त इन्द्र की देहरूपी भिक्षापात्रों से ( खप्परों से ) जो नाचने के समय खनखन शब्द करते हैं , बड़ी शोभित होती है।