ख़ुश्की का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कहीं आग लगी हो और ये नाम कपड़े में लिखकर डाल दिये जाएं तो वह बूझ जाती है , बच्चे के रोने , मीआदी बुख़ार , सरदर्द , सूखे की बीमारी , ख़ुश्की व तरी के सफ़र में जान माल की हिफ़ाज़त , अक़्ल की तीव्रता , क़ैदियों की आज़ादी के लिये नाम लिखकर तअवीज़ की तरह बाज़ू में बांधे जाएं .
- कहीं आग लगी हो और ये नाम कपड़े में लिखकर डाल दिये जाएं तो वह बूझ जाती है , बच्चे के रोने , मीआदी बुख़ार , सरदर्द , सूखे की बीमारी , ख़ुश्की व तरी के सफ़र में जान माल की हिफ़ाज़त , अक़्ल की तीव्रता , क़ैदियों की आज़ादी के लिये नाम लिखकर तअवीज़ की तरह बाज़ू में बांधे जाएं .
- ख़ुश्की और सियाही की ख़ुसूसीयत का तज़किरा इस अम्र का शाहिद है कि यह अल्लाह का अलग से कोई दूसरा अहसान है जिसका तअल्लुक घाँस की पैदावार से नही है इसलिये अजब नही कि इससे दौरे हाज़िर की इस तहक़ीक़ ही की तरफ़ इशारा हो कि जिन ज़मीनों में पेटरोल वग़ैरह बरामद होता है वहाँ की घाँस ख़ुश्क और सियाह हो जाती है।
- और ज़मीन को हमने फ़र्श किया तो हम क्या ही अच्छे बिछाने वाले { 48 } और हमने हर चीज़ के दो जोड़े बनाए ( 3 ) ( 3 ) आसमान और ज़मीन और सूरज और चाँद और रात और दिन और ख़ुश्की और तरी और गर्मी व सर्दी और जिन्न व इन्स और रौशनी और अंधेरा और ईमान व कुफ़्र और सआदत व शक़ावत और हक़ व बातिल और नर व मादा की तरह .
- में चला जाता है इसी प्रकार यह जल-चक्र जारी रहता है सातवीं सदी ईसा पूर्व में थैल्ज thelchz नामक एक यूनानी दार्शनिक को विश्वास था कि सामुद्रिक धरातल पर एक बारीक जल-बूंदों की फुहार spray उत्पन्न होती है जिसे हवा उठा लेती है और ख़ुश्की के दूर दराज़ क्षेत्रों तक ले जाकर वर्षा के रूप में छोड़ देती है , जिसे बारिश कहते हैं इसके अलावा पुराने समये में लोग यह भी नहीं जानते थे कि ज़मीन के नीचे पानी का स्रोत क्या है ?
- कभी यह हादसे इंसान को बेदार करने के लिए होते हैं ताकि वह राहे हक़ पर लौट आयें जैसे कि क़ुरआने करीम में इरशाद हुआ है ज़हर अलफ़सादु फ़ी अलबर्रि व अलबहरि बिमा कसबत अयदि अन्नासि लियुज़िक़ाहुम बअज़ा अल्लज़ी अमिलू लअल्लाहुम यरजिऊना ” [ 6 ] यानी दरिया व ख़ुश्की में जो तबाही फैली वह उन कामों की वजह से थी जो लोगों ने अंजाम दिये , अल्लाह यह चाहता है कि लोगों को उनके आमाल की सज़ा का एक छोटा सा हिस्सा चखाये शायद वह राहे हक़ की तरफ़ लौट आयें।
- मेरे इमकान में उन्हें तुम्हारे हवाले करना है और न किसी और के , मेरी जान की क़सम अगर तुम अपनी गुमराही और अदावत से बाज़ न आए तो अनक़रीब उन्हें देखोगे के वह ख़ुद तुम्हें ढूंढ लेंगे और इस बात की ज़हमत न देंगे के तुम उन्हें ख़ुश्की या तरी , पहाड़ या सहरा में तलाश करो , अलबत्ता यह तलब होगी के जिसका हुसूल तुम्हारे लिये बाइसे मसर्रत न होगा ( नागवारी का बाएस होगा ) और वह मुलाक़ात होगी जिससे किसी तरह की ख़ुशी न होगी और सलाम उसके अहल पर।
- ( 6 ) इस आयत में काफ़िरों को चेतावनी दी गई है कि ख़ुश्की और तरी के सफ़र में जब वो आफ़तों में मुबतिला होकर परेशान होते हैं और ऐसी सख़्तियाँ पेश आती हैं जिनसे दिल काँप जाते हैं और ख़तरे दिलों को बेचैन कर देते हैं , उस वक़्त बुत परस्त भी बुतों को भूल जाता है और अल्लाह तआला ही से दुआ करता है , उसी के समक्ष गिड़गिड़ाता है और कहता है कि इस मुसीबत से अगर तूने मुझे छुटकारा दिलाया तो मैं शुक्रगुज़ार होऊंगा और तेरी नेअमत का हक़ बजा लाऊंगा .