गमन करना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- और सच तो यह है कि १९१९ में जाकर ही वैज्ञनिकों ने जब पूर्ण सूर्यग्रहण के समय एक अद्भुत प्रयोग में देखा , परखा और मापा तब कहीं यह माना कि शून्य में भी प्रकाश किरण का सरल रेखा में गमन करना आवश्यक नहीं है !
- तब प्रकाश की किरण को सरल रेखा में ही गमन करना चाहिए , इसमें संदेह क्यों ? इस पर संदेह सबसे पहले आइंस्टाइन ने ही किया था ! संदेह ही नहीं वरन घोषणा की थी कि अंतरिक्ष के तथाकथित शून्य में प्रकाश किरण वक्र पथ पर चलती है.
- तब प्रकाश की किरण को सरल रेखा में ही गमन करना चाहिए , इसमें संदेह क्यों ? इस पर संदेह सबसे पहले आइंस्टाइन ने ही किया था ! संदेह ही नहीं वरन घोषणा की थी कि अंतरिक्ष के तथाकथित शून्य में प्रकाश किरण वक्र पथ पर चलती है .
- और सच तो यह है कि १ ९ १ ९ में जाकर ही वैज्ञनिकों ने जब पूर्ण सूर्यग्रहण के समय एक अद्भुत प्रयोग में देखा , परखा और मापा तब कहीं यह माना कि शून्य में भी प्रकाश किरण का सरल रेखा में गमन करना आवश्यक नहीं है !
- सुकन्या जय हो , सब है कुशल . उर्वशी ! आज अचानक ऋषि ने कहा , “ आयु को पितृ-गेह आज ही गमन करना है ! अत : , आज ही , दिन रहते-रहते , पहुंचाना होगा , जैसे भी हो , इस कुमार को निकट पिता-माता के ” .
- जब हम समलैंगिक लोगों को इस समाज मैं मिला सकते हैं , तब वेश्याओं को क्यों नहीं ? चोरी -छिपे तो ,सब कुछ चल ही रहा है फिर खुले रूप मैं स्वीकार करने मैं संकोच कैसा ? हमारे कानून मैं बलात गमन करना अपराध है , रजामंदी से गमन छ्म्य है .
- गुरु पुष्य योग में गुरु अथवा पिता , दादा या श्रेष्ठ व्यक्ति से मंत्र , तंत्र या किसी विशिष्ट विषय के संबंध में उच्च विद्या ग्रहण करना , धन , भूमि , विद्या एवं आध्यात्मिक ज्ञान पा्र प्त करना , गरु से दीक्षा ग्रहण करना , विदेश गमन करना शुभ होता है।
- धन-दौलत काफी बढ़ गई | किसी बात की कमी न रही , तब भी उसने न सोचा | वह सोचता भी कैसे ? पांच दोष उसके ऊपर लग गए थे | गुरु की आज्ञा की अवज्ञा | झूठ बोलना | जूठन खानी और मदिरापान | पांचवा महान दोष-वेश्या का गमन करना था |
- अपने हाथों से योग्य पात्र को दान करना चाहिए , कॉनों से शास्त्रों का श्रवण करना चाहिए , नेत्रों से विद्वानों का दर्शन करना चाहिए , अपने पॉवों से तीर्थों पर गमन करना चाहिए , पेट भरने के लिए सदैव परिश्रम और ईमानदारी से धन कमाना चाहिए , कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए।
- पहले ही अजामल ने मंदे कर्म-दोष किए थे | एक गुरु की आज्ञा की अवज्ञा तथा दूसरा झूठ बोलना | उसने अब दो पाप और कर दिए | एक जूठन खाई और पराई नारी का गमन करना | वह वासना की ओर बढ़ गया | वेश्या का जूठा भोजन भी खा लिया | इन चारों ही महां-दोषों ने उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर दी | वह गुरु के पास जाता लेकिन मन भटकने से पाठ न कर पाता |