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गुडूची का अर्थ

गुडूची अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. 7 . योनि की जलन और खुजली : आमलकी का रस 6 मिलीलीटर से लेकर 15 मिलीलीटर , गुडूची 3 ग्राम , चीनी 5 से 10 ग्राम की मात्रा में लेकर एक दिन में सुबह और शाम पीने योनि की खुजली में लाभ मिलता है।
  2. 7 . योनि की जलन और खुजली : आमलकी का रस 6 मिलीलीटर से लेकर 15 मिलीलीटर , गुडूची 3 ग्राम , चीनी 5 से 10 ग्राम की मात्रा में लेकर एक दिन में सुबह और शाम पीने योनि की खुजली में लाभ मिलता है।
  3. इस चूर्ण को धान्यक फल , गुडूची तना और पटोल के पत्ते के 14 से 28 मिलीलीटर काढ़े में मिलाकर इसमें 5 से 10 ग्राम शर्करा या 5 से 10 ग्राम शहद मिलाकर दिन में 3 बार लेने से चौथे दिन आने वाला बुखार अगली बार नहीं आता है।
  4. इस चूर्ण को धान्यक फल , गुडूची तना और पटोल के पत्ते के 14 से 28 मिलीलीटर काढ़े में मिलाकर इसमें 5 से 10 ग्राम शर्करा या 5 से 10 ग्राम शहद मिलाकर दिन में 3 बार लेने से चौथे दिन आने वाला बुखार अगली बार नहीं आता है।
  5. चौथे दिन आने वाले बुखार में उशीर मूल , मुस्तक मूल ( मुस्तक की जड़ ) , रक्त ( लाल ) चंदन काष्ठ , गुडूची तना और धान्यक फल आदि को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में 3 बार प्रयोग कर सकते हैं।
  6. चौथे दिन आने वाले बुखार में उशीर मूल , मुस्तक मूल ( मुस्तक की जड़ ) , रक्त ( लाल ) चंदन काष्ठ , गुडूची तना और धान्यक फल आदि को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में 3 बार प्रयोग कर सकते हैं।
  7. चिकित्सा- चिकित्सक की देखरेख में नीचे औषधियों के सेवन से इस रोग से बचाव संभव है प्रवालपिष्टि 250 मिग्रा . , कामदुधारस 250 मि . ग्रा . , अविपत्तिकर चूर्ण 250 मि . ग्रा . गुडूची सत्व 125 मि . ग्रा . ऐसी मात्रा की पुढिया बनाकर सुबह-शाम शहद से लें।
  8. चिकित्सा- चिकित्सक की देखरेख में नीचे औषधियों के सेवन से इस रोग से बचाव संभव है प्रवालपिष्टि 250 मिग्रा . , कामदुधारस 250 मि . ग्रा . , अविपत्तिकर चूर्ण 250 मि . ग्रा . गुडूची सत्व 125 मि . ग्रा . ऐसी मात्रा की पुढिया बनाकर सुबह-शाम शहद से लें।
  9. 1 . आभिन्यास बुखार : त्रिकुटु , त्रिफला तथा मुस्तक जड़ , कटुकी प्रकन्द , निम्ब छाल , पटोल पत्र , वासा पुष्प व किरात तिक्त के पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) और गुडूची को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बना लें।
  10. किरातिक्त के पंचांग ( पत्ता , तना , फल , फूल और जड़ ) , गुडूची का तना , रक्त ( लाल ) चंदन काष्ठ और शुंठी आदि को बराबर मात्रा में लेकर बने काढ़े का़ 14 से 28 मिली लीटर की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करने से चौथे दिन आने वाला बुखार समाप्त हो जाता है।
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