ग्रामवासिनी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस किस्से का भावार्थ समझ गया कि बाबा उन दिनों पापा के साथ दौरे पर गए थे , और उन्हीं दिनों जले-कुटे हिन्दुस्तान की जली-भुनी अवस्था में भारत माता ग्रामवासिनी ने उन्हें खानदानी चाकलेट के अहर्निश सेवन का आशीर्वाद प्रदान कर दिया था।
- तो यहीं से ऑटो में बैठकर , धूल फांकते हुए ठेठ बनारस की ओर बढ़ लेते हैं ( सनद रहे , प्रकृति के सुकुमार कवि पन्त की पंक्तियाँ ' खेतों में फैला है श्यामल / धूल भरा मैला - सा आँचल / भारत माता ग्रामवासिनी . )
- हालांकि गांवों की खास सुध लेने के ले ग्रामीण समिति और यमुनापार विकास बोर्ड द्वारा यमुनापार के गांवों की देखरेख की जी रही है , इसके बावजूद दिल्ली के गांवं की बेहाली देखकर वाकई लगता है कि भारत माता ग्रामवासिनी के गांवों का कोई भविष्य नहीं है।
- क्या यूथ गैलरी इस बात से अधिक युवा हो जाती है कि वहाँ किसी युवा की ओर से लिखा जाए कि वह शू परचेस करने के लिए मार्केट गया ? यह एक नुमाइशी 'हिंडी' है, जिसका लक्ष्य आम ग्रामवासिनी भारती से खुद को पृथक और विशिष्ट दिखाने का आडंबर रचना है।
- सफाई-पसंद देश में गंदगी देखने-दिखानेवाले इन लोगों को उन् होंने ' नाबदान के नायब इंस् पेक् टर ' और ' गंदे चहबच् चे के बच् चे ' ठहराकर अपनी ग्रामवासिनी माता की तथाकथित गंदगी की सफाई में ऐसे-ऐसे तर्क दिए कि आलोचकों के मुँह खुले रह गए और बोलती बंद हो गई।
- शहर-शहर में बरतन मांजे भारत माता ग्रामवासिनी फिर भी राशन कार्ड न पाए हर-हर गंगे पापनाशिनी ग्लोबल गांव हुई दुनिया में प्लास्टिक की तरकारी , साधो! कर्मन की गति न्यारी. अंशु मालवीय इस वर्ग की अन्य रचनाएं 'साहित्य की कोपलें ' उभरते हुए अंकुरों को खाद-पानी देने का एक छोटा सा प्रयास है.
- हिन्दी नें स्वयं पर अंग्रेजी कंबल को ओढाये जाने की साजिश भी देखी और हिन्दी शहरी बाबुओं के उस षडयंत्र का शिकार भी हुई जहाँ दो तीन प्रतिशत अंग्रेज़ीदाँ लोगों के इस देश को अनपढ घोषित कर दिया , चूंकि , न केवल भारतमाता , अपितु माता हिन्दी भी ग्रामवासिनी ही तो है।
- ढेर सारी हरियाली आंखों मै भर लाने के मकसद से भरे चकराता पहुंचे किंतु निराशा हुइ वहां तो चारों ओर ढरकते अधनंगे पहाडों की धूल मात्र थी पहाड़ अपनी कहानी खुद कह रहे थे फिर कवि पंत की कविता याद आई _भारतमाता ग्रामवासिनी खेतों मै फैला है श्यामल धूल भरा मैला_सा आंचल लगा प्रकृति का यह रुप भी ग्राह्य है।
- निर्णय की प्रशस्ति में लिखा गया है कि -“ कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं , जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है| ऐसे समय में, जब कविता पन्त की प्रसिद्ध कविता भारतमाता ग्रामवासिनी से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं ”जो खेत में लिख सकता है वही कागज़ पर भी लिख सकता है”;
- “ कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं , जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है | ऐसे समय में , जब कविता ' पन्त ' की प्रसिद्ध कविता ” भारतमाता ग्रामवासिनी “ से दूर छिटक रही है , वे लिखते हैं ” जो खेत में लिख सकता है वही कागज़ पर भी लिख सकता है ” ;