चवर्ग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इचु यशानाम तालुह ” अर्थात इ , चवर्ग ( च , छ , ज , झ ) एवं य एवं श का उच्चारण तालू से किया जाता है .
- प्रत्येक वर्ग ( कवर्ग, चवर्ग आदि) का केवल पहला और अंतिम अक्षर उपस्थित है, बीच के अक्षर नहीं हैं (अन्य द्रविड भाषाओं तेलुगु, कन्नड, मलयालम में ये अक्षर उपस्थित हैं)।
- यथा “ इचुयशानाम तालु ” अर्थात इ , चवर्ग ( च , छ , ज , झ और ञ ) , य और श का उच्चारण मुँह के तालु से किया जाता है।
- यथा “ इचुयशानाम तालु ” अर्थात इ , चवर्ग ( च , छ , ज , झ और ञ ) , य और श का उच्चारण मुँह के तालु से किया जाता है।
- कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग आदि के अंतिम अक्षरों की जगह अनुस्वार के प्रयोग के बाद भी ध्वनि उस अंतिम वर्ण की ही आती है , खास तौर से इस तरह की बातों की ओर ध्यान आकृष्ट करना उनके फोनेटिक्स के गहरे ज्ञान को दर्शाता है .
- कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग आदि के अंतिम अक्षरों की जगह अनुस्वार के प्रयोग के बाद भी ध्वनि उस अंतिम वर्ण की ही आती है , खास तौर से इस तरह की बातों की ओर ध्यान आकृष्ट करना उनके फोनेटिक्स के गहरे ज्ञान को दर्शाता है .
- उच्चारण - कहा जाता है अरबी भाषा को कंठ से और अंग्रेजी को केवल होंठों से ही बोला जाता है किन्तु संस्कृत में वर्णमाला को स्वरों की आवाज के आधार पर कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग , तवर्ग , पवर्ग , अन्तःस्थ और ऊष्म वर्गों में बाँटा गया है।
- उच्चारण - कहा जाता है अरबी भाषा को कंठ से और अंग्रेजी को केवल होंठों से ही बोला जाता है किन्तु संस्कृत में वर्णमाला को स्वरों की आवाज के आधार पर कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग , तवर्ग , पवर्ग , अन्तःस्थ और ऊष्म वर्गों में बाँटा गया है।
- चवर्ग ‘ स्पृष्ट - तालव्य ' कहलाता ह ै , जिसका अर्थ यह है कि वर्ग के पांचों वर्णों के उच्चारण में मुख के भीतरी कोष्ठ की आकृति , मुख के भीतर जीभ की स्थिति , दांत-होंठ की भूमिका , आदि सब एक समान है और उनका मूल स्थान तालु है ।
- किंतु किसी वर्गीय वर्ण ( ‘ क ' से लेकर ‘ म ' तक के कवर्ग , चवर्ग आदि के वर्ण ) के पूर्व अनुस्वार नहीं प्रयुक्त होता बल्कि उसके स्थान पर संबंधित वर्ग का पांचवां वर्ण लिखा जाता है , जैसे अंक ( हिंदी में ) को संस्कृत में अङ्क लिखा जायेगा ।