जमराज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जमराज हा चित्रगुप्त ला रात के बने चेता के सुतिस के मोर भैंसा ला बने खवा पिया के सुग्घर मांज धो के राखहु , काली मोला मुंधरहाच ले कोरट जाना हवय भुलाहु झन, चित्रगुप्त हा जम्मो नौकर मन ला चेता के ऊहु हा सुते ला चल दिस, ऍती बिहनिया हुईस ता जमराज हा कोरट जा
- दूत : सुनिए, जब मुझे आपने नगर के लोगों का भेद लेने भेजा तब मैंने यह सोचा कि बिना भेस बदले मैं दूसरे के घर में न घुसने पाऊँगा, इससे मैं जोगी का भेस करके जमराज का चित्र हाथ में लिए फिरता-फिरता चन्दनदास जौहरी के घर में चला गया और वहाँ चित्र फैलाकर गीत गाने लगा।
- वैसे भी कबीर को क्या बाँधना ? एक पंक्ति में कहते हैं ‘ आये जमराज पलंग चढ़ि बैठा ' ( व्याकरण की दृष्टि से देखें तो बिगड़ी पश्चिमी भाषा ) और तुरंत दूसरी पंक्ति में कहते हैं ‘ नयनन अँसुआ टूटल हो ' - ‘ नयनन अँसुआ ' पर पुराने हिन्दुस्तानी का प्रभाव है तो ‘
- दूत : सुनिए , जब मुझे आपने नगर के लोगों का भेद लेने भेजा तब मैंने यह सोचा कि बिना भेस बदले मैं दूसरे के घर में न घुसने पाऊँगा , इससे मैं जोगी का भेस करके जमराज का चित्र हाथ में लिए फिरता-फिरता चन्दनदास जौहरी के घर में चला गया और वहाँ चित्र फैलाकर गीत गाने लगा।
- जब हम राहत-झुग्गियों के काफी करीब पहुंच गये तो उसने अंगोछे से अपने मुख का आधा हिस्सा निकालकर मुझे सलाह दिया- कअम से ख्मं रूहमालों रंख लों ( कम से कम नाक पर रूमाल भी तो रख लो ) ... क्यों ? ... सरबा , हमर तें नाक फट जायेगा रे बाप , कौन जमराज के फेर में पड़ गिया रे बाप ??? सद्यः नर्क !!! चुप्प ! तुम चुपेगा की नहीं ??
- सो इनके पाप को छोड़ाने में पूरे तौर से कोशिश करके छोड़ाओ जबकि पाप करना छुट जावेगा जब तुमको और तुम्हारी औलाद को आराम मिलेगा और कुल जहान में अमन-अमान हो जावेगा , और इन बनियों से यह भी दरियाफ्त करो कि जो तीन लोक की जातों को यह हिन्दुस्तानी बनिये स्वर्ग और नरक की कुण्डियाँ कहा करते है , कि वहाँ पर चौरासी लाख कुण्डियाँ है और जमराज चौरासी लाख जीवाजून को सजा देते है।
- हम तो एक खेल प्रेमी की तरह पल पल बदलते स्कोर के रोमान्च में तल्लीन यह जोड़ लगाने में मसगूल होंगें कि अब आगे 5 वर्षों तक हमारा मुनीम कौन होगा ! कौन होगा जो अर्थ व्यवस्था और मुद्रा प्रबन्धन पर बड़ी बड़ी बातें करेगा और चुपके चुपके गद्दी के नीचे से माल सरकाता रहेगा !!हमारे हिस्से आएँगें बस खाता, बही, रजिस्टर वगैरह.माल तो कहीं और ताल मिला रहा होगा.. . . आए जमराज पलंग चढ़ि बैठा, नैनन अँसुआ फूटलयोकौन ठगवा नगरिया लूट लयो? . . . प्रतीक्षा करें कल की.
- इसके बारे में तफसीस किये तो कई कारणों में से एक कारण यह सुनने को मिला कि यदि गोदना न रहे शरीर पर तो जमराज फरक कैसे कर पायेंगे कि यह जनानी है कि मरदाना , यह यह कौन है किसकी पत्नी किसकी माँ या बहु आदि आदि है...ऊपर जब सगे सम्बन्धियों के पास भेजा जायेगा तो इसी पहचान पत्र के जरिये न भेजा जाएगा..नहीं तो कन्फ्यूजन नहीं हो जायेगा...और फिर अगले जनम में सम्बन्धियों का साथ भी तो इसी पहचान पत्र के जरिये मिलेगा... बड़ा सटीक व्यंग्य लिखा भाई...मन परसन्न कर दिया...