जाजलि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- महाभारत में जाजलि और तुलाधार के संवाद में तुलाधार जाजलि से कहना है हे महामुने ! जो बुद्धिमान विप्रश्रेष्ठ सदा यज्ञ करते हैं , वे यज्ञ करने से ही देवलोक को प्राप्त होते हैं ।
- तुलाधार और जाजलि के संवाद में धर्म का विवेचन करते समय तुलाधार भी यही कहता है कि सूक्ष्मत्वान्न स विज्ञातुं शक्यते बहुनिह्नवः - अर्थात ; धर्म बहुत सूक्ष्म और चक्कर में डालने वाला होता है , इसलिए वह समझ में नहीं आता।
- आयुर्वेद के आचार्य ये हैं - अश्विनीकुमार , धन्वतरि , दिवोदास ( काशिराज ) , नकुल , सहदेव , अर्कि , च्यवन , जनक , बुध , जावाल , जाजलि , पैल , करथ , अगस्त , अत्रि तथा उनके छ : शिष्य ( अग्निवेश , भेड़ , जातूकर्ण , पराशर , सीरपाणि हारीत ) , सुश्रुत और चरक ।
- आयुर्वेद के आचार्य ये हैं - अश्विनीकुमार , धन्वतरि , दिवोदास ( काशिराज ) , नकुल , सहदेव , अर्कि , च्यवन , जनक , बुध , जावाल , जाजलि , पैल , करथ , अगस्त , अत्रि तथा उनके छ : शिष्य ( अग्निवेश , भेड़ , जातूकर्ण , पराशर , सीरपाणि हारीत ) , सुश्रुत और चरक ।