झम-झम का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पहले घर में बच्चे होते और होती थीं दादी-नानी गीतों के झरने बहते थे झम-झम झरते कथा-कहानी शाम ढले अब सूने घर में बस्तों से झरते हैं बच्चे - ! बदलाव सुखद नहीं है मगर करें क्या बदलाव वक्त की नीयति है .
- सूरज तपता , धरती जलती गरम हवा जोरों से चलती तन से बहुत पसीना बहता हाथ सभी के पंखा रहता आरे बादल, काले बादल गरमी दूर भगा रे बादल रिमझिम बूँदें बरसा बादल झम-झम पानी बरसा बादल ले घनघोर घटायें छाईं टप-टप, टप-टप बूँदें आईं बिजली लगी चमकने चम्-चम् लगा बरसने
- सूरज तपता , धरती जलती गरम हवा जोरों से चलती तन से बहुत पसीना बहता हाथ सभी के पंखा रहता आरे बादल, काले बादल गरमी दूर भगा रे बादल रिमझिम बूँदें बरसा बादल झम-झम पानी बरसा बादल ले घनघोर घटायें छाईं टप-टप, टप-टप बूँदें आईं बिजली लगी चमकने चम्-चम् लगा बरसने...
- झम-झम झमलई , सात समुंदर, सोरो धार, हाड़ खाए, मांस गलाए, नहीं माने, पाप-दोख, भूत-बैताल, धारा झौंटा, पीठ में लाठी, डंडे रस्सी, गल्ला फांसी, गोड़ में बेड़ी, हाथ में जंजीर, मुंह में तब्बा लगाइके, मनाइ के, समझाइ के, बुझाइ के, सुझाइ के, ए भूत के लइ बाहर कर, संकर गुरु के लागे परनाम।
- बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना को मंच पर लाने के लिए … खासकर ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी : बिन सावन-भादो की आहट के ही मेघ , झम-झम , उन नयनों से बरस रहे थे वक्त का अभाव था ऐसा कि मेरे घंटे , मिनट में , मिनट सेकंड में बदल रहे थे॥ आभार
- बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना को मंच पर लाने के लिए … खासकर ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी : बिन सावन-भादो की आहट के ही मेघ , झम-झम , उन नयनों से बरस रहे थे वक्त का अभाव था ऐसा कि मेरे घंटे , मिनट में , मिनट सेकंड में बदल रहे थे॥ आभार
- रोज़-रोज़ की इस ज़द्दोज़हद में मेरे अपने ही , मुझसे दो बोल को तरस रहे थे बिन सावन-भादो की आहट के ही मेघ , झम-झम , उन नयनों से बरस रहे थे वक्त का अभाव था ऐसा कि मेरे घंटे , मिनट में , मिनट सेकंड में बदल रहे थे आगे बढ़ आसमान की ऊँचाई छूने को , मेरे अरमान अतिशय मचल रहे थे
- रोज़-रोज़ की इस ज़द्दोज़हद में मेरे अपने ही , मुझसे दो बोल को तरस रहे थे बिन सावन-भादो की आहट के ही मेघ , झम-झम , उन नयनों से बरस रहे थे वक्त का अभाव था ऐसा कि मेरे घंटे , मिनट में , मिनट सेकंड में बदल रहे थे आगे बढ़ आसमान की ऊँचाई छूने को , मेरे अरमान अतिशय मचल रहे थे
- मेरी गुडिया पडी बीमार रात को बरसा झम-झम पानी उसमें भीगी गुडिया रानी गीले कपडे दिए उतार फिर भी गुडिया पडी बीमार ओहो , इसको तेज बुखार सौ से ऊपर डिग्री चार दवा की है ये चार खुराक सुबह-दोपहर-शाम और रात फीस लगेगी हर इक बार आज नगद और कल हो उधार फीस ? जब तक गुडिया रहे बीमार तब तक पैसे रहे उधार।
- सूरज तपता , धरती जलती गरम हवा जोरों से चलती तन से बहुत पसीना बहता हाथ सभी के पंखा रहता आरे बादल, काले बादल गरमी दूर भगा रे बादल रिमझिम बूँदें बरसा बादल झम-झम पानी बरसा बादल ले घनघोर घटायें छाईं टप-टप, टप-टप बूँदें आईं बिजली लगी चमकने चम्-चम् लगा बरसने पानी झम-झम लेकर अपने साथ दिवाली सरदी आई बड़ी निराली शाम सवेरे सरदी लगती पर स्वेटर से है वह भगती।