तम्बीह का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 164 - आपका इरषादे गिरामी ( जब लोगों ने आपके पास आकर उस्मान के मज़ालिम का ज़िक्र किया और उनकी फ़हमाइष और तम्बीह का तक़ाज़ा किया तो आपने उस्मान के पास जाकर फ़रमाया )
- आडवाणी जी झूठ नहीं बोलते ! हालांकि इससे पहले लोकसभा में भाजपा व सपा का प्रेम सब ने देखा मगर अपनी प्रदेश सरकार को आडवाणी के इशारे पर तम्बीह करना लोगों को अटपटा लगा।
- तुम फ़रमाओ मैं अल्लाह ही को पूजता हूँ निरा उसका बन्दा होकर { 14 } तो तुम उसके सिवा जिसे चाहो पूजो ( 8 ) ( 8 ) हिदायत और तम्बीह के तरीक़े पर फ़रमाया .
- इस ख़ुत्बे में परवरदिगार के सिफ़ात , तक़वा की नसीहत , दुनिया से बेज़ारी का सबक़ , क़यामत के हालात , लोगों की बेरूख़ी पर तम्बीह और फिर यादे ख़ुदा दिलाने में अपनी फ़ज़ीलत का ज़िक्र किया गया है।
- अतः आपसे निवेदन है कि मेरी सेलरी के बचे हुए सारे चेक दोबारा ISSUE करवाने और इस मामले में दोषी स्टाफ के लोगो को ज़रूरी तम्बीह करने के साथ ही मैं राष्ट्रीय सहारा उर्दू मुंबई में काम शुरू करूं या नहीं इस बात से अवगत करवाने का कृपा करें .
- कुछ खोया सा रहता हूँ कुछ खोया सा रहता हूँ तुम याद मुझे करते होगे और ख्वाब मेरे बुनते होंगे , पहले की तरह शायद अब भी तस्वीर मेरी रखते होगे, अक्सर की दुआओं में अब भी मेरे लिए तुम कहते होगे, खुश रहने की शायद अब भी तम्बीह मुझे करते होगे.
- गले का फन्दा तंग होने से पहले सांस ले लो और ज़बरदस्ती ले जाए जाने से पहले अज़ ख़ुद जाने के लिये तैयार हो जाओ और याद रखो के जो “ ाख़्स ख़ुद अपने नफ़्स की मदद करके उसे नसीहत और तम्बीह नहीं करता है उसको कोई दूसरा न नसीहत कर सकता है अैर न तम्बीह कर सकता है।
- गले का फन्दा तंग होने से पहले सांस ले लो और ज़बरदस्ती ले जाए जाने से पहले अज़ ख़ुद जाने के लिये तैयार हो जाओ और याद रखो के जो “ ाख़्स ख़ुद अपने नफ़्स की मदद करके उसे नसीहत और तम्बीह नहीं करता है उसको कोई दूसरा न नसीहत कर सकता है अैर न तम्बीह कर सकता है।
- यह हिदायत और सीख का बेहतरीन अन्दाज़ है ताकि सुनने वाले की अन्तरात्मा को तम्बीह हो और उसे अपने जुर्म और नाशुक्री का हाल मालूम हो जाए कि उसने कितनी नेअमतों को झुटलाया है और उसे शर्म आए और वह शुक्र अदा करने और फ़रमाँबरदारी की तरफ़ माइल हो और यह समझ ले कि अल्लाह तआला की अनगिन्त नेअमतें उस पर हें .
- ( (( तक़द्दुस मआब हज़रात के लिये यह बेहतरीन नुसख़ए हिदायत है जो इज्तेमाअ और अवामी फ़राएज़ से ग़ाफ़िल हांेकर मुस्तहबात पर जान दिये पड़े रहते हैं और अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास नहीं करते हैं और इसी तरह ये उन साहेबाने ईमान के लिये सामाने तम्बीह है जो मुस्तहबात पर इतना वक़्त और सरमाया सर्फ़ कर देते हैं के वाजेबात के लिये न वक़्त बचता है और न सरमाया।