तालमखाना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- विधारा की जड़ , जीरा, विदारी कन्द, शतावरी, तालमखाना, बला की जड़, कौंच के छिलकारहित बीज, अतीस, जावित्री, जायफल, लौंग, भांग के बीज, अजवायन और सफेद राल सब द्रव्य 3-3 ग्राम।
- • 15 . सफेद मूसलीः - सालम मिश्री , तालमखाना , सफेद मूसली , कौंच के बीज , गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें।
- • 15 . सफेद मूसलीः - सालम मिश्री , तालमखाना , सफेद मूसली , कौंच के बीज , गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें।
- कौंच के बीज का चूर्ण , तालमखाना और मिसरी, तीनों बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम चूर्ण खाकर, ऊपर से दूध पीना शीघ्रपतन में लाभदायक होता है।
- कौंच के बीज का चूर्ण , तालमखाना और मिसरी, तीनों बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम चूर्ण खाकर, ऊपर से दूध पीना शीघ्रपतन में लाभदायक होता है।
- वीर्य के पतले होने पर , शीघ्रपतन रोग में, स्वप्नदोष होने पर, शुक्राणुओं की कमी होने पर रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालमखाना के बीज दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
- * तालमखाना एवं गिलोय के क्वाथ में बलानुसार पीपल ( 3 से 10 - 20 तक ) पीसकर 21 दिन पीने से गठिया रोग से मुक्ति मिल जाती है , परंतु रोगी पथ्य से रहे।
- बबूल व पलाश की गोंद , शतावरी , अश्वगंधा , काली मूसली , सफेद मूसली , यष्टिमधु व तालमखाना के बीज प्रत्येक 20 - 20 ग्राम व मिश्री 160 ग्राम पीसकर चूर्ण बना कर रखें।
- दालचीनी , इलायची, तेजपत्र, नागकेसर, लौंग, पीपल, सौंठ, सेमल के फूल, कचूर, रूमी मस्तंगी, छुहारे, मुलहठी, नागरमोथा, आंवला, तगर, समुद्र शेष, लसूडे, सुपारी, अकरकरा, कौंच बीज, बादाम, पिस्ता, तालमखाना, त्रिकूट, सौंफ, चन्दन प्रत्येक द्रव्य 10-10 ग्राम।
- कौंच के बीज का चूर्ण , तालमखाना और मिसरी , तीनों बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3 - 3 ग्राम चूर्ण खाकर , ऊपर से दूध पीना शीघ्रपतन में लाभदायक होता है।