तीनी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इजरायल हमास को खत् म करने की बात कर रहा है लेकिन वह भी जानता है कि दरअसल उसे खत् म करना है फिलीस् तीनी लोगों का हौसला , उनके लड़ने की ताकत और उनका प्रतिरोध।
- हो सकता है , एक सुप्रसिद्ध फ्रेंच दार्शनिक है , मास् को पुलिस के खुफिया विभाग का एक अधिकारी है , एक अमेरिकी गायक , एक बूढ़ा फ्रेंच सिपाही , एक फिलिस् तीनी राजदूत और एक संयुक् त राष् ट्रसंघ की पूर्व महिला अधिकारी भी शामिल है।
- एक यही तरीका है कि सभी इजरायली और फलस् तीनी यहां तक कि , दुनिया के इस हिस् से में फैली सनक के बंदी तमाम लोग रह सकें साथ मिल-जुल कर दुश् मनों के बीच और जाहिर है , हम भी जिन् होंने अब खोल दी है अपनी जबान।
- कुट्टू का संबंध शैलपुत्री से , ब्रह्मचारिणी से दही का , चंद्रघंटा से चौराई का , कूष्माण्डा से पेठा का , स्कन्दमाता से तीनी चावल का , कात्यायनी से हरी सब्जियों का , कालरात्रि से काली मिर्च व तुलसी का , महागौरी से साबूदाना का और सिद्धिदात्री से आंवला का संबंध है।
- हम दाऊद को देखते हैं कि जब वह बालक ही था तब उसके भाई और इस्राएली सेना स् वयं पर भरोसा रखकर फिलिस् तीनी सेना से लड़ने गये लेकिन जब गोलियत जैसे वीर योद्धा ने ललकारा तो इस्राएली सेना पीछे हट गई और उनमें भय छा गया क् योंकि उनका भरोसा स् वयं पर था परमेश् वर पर नहीं।
- पुस्तकें : धरती की बेटी तथा दो आँखों वाले चेहरे, परछाइयों के प्रश्न (कहानी-संग्रह), तीनी (उपन्यास), साथी हाथ बढ़ाना (एकांकी-संग्रह), लिटिल बिट इंडिया लिटिल बिट यू.एस.ए. अँग्रेज़ी में प्रकाशित व चर्चित उनका काव्य-संग्रह है; पुरस्कार : उन्होंने अमरीका की दस श्रेष्ठ महिलाओं का पुरस्कार यूनिवर्सिटी स्तर पर प्राप्त किया व 1990 में 'हू इज़ हू वर्ल्डवाइड' में उन्हें चुना गया।
- नमस्कार ! प्रेमी साब कि तीनी लघु कथाए अलग अलग मिजाज़ कि है पहली लघु कथा एक अंतर स्पष्ट करी है कि एक बच्चे के जन्मने पे उसका घराना क्या है भली ही बच्चे पे ना पड़े मगर आसा पड़ोस को फरक पड़ता है क्यूंकि '' ऊँचे '' घर कोईसे जुड़ने में जो सुकून जो आमा दामी को होता है वो शायद आम आदमी के घर से जुड़ने पे नहीं होता होगा , दूसरी लघु कथा में ..
- झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥ काहे कै ताना काहे कै भरनी , कौन तार से बीनी चदरिया ॥ १॥ इडा पिङ्गला ताना भरनी, सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥ २॥ आठ कँवल दल चरखा डोलै, पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥ ३॥ साँ को सियत मास दस लागे, ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥ ४॥ सो चादर सुर नर मुनि ओढी, ओढि कै मैली कीनी चदरिया ॥ ५॥ दास कबीर जतन करि ओढी, ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥ ६॥