तृप्त होना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- [ ग ] तीन गुणों के भावों में अहंकार होता है , करता भाव की जननी , अहंकार है [ गीता - 3.27 ] , फिर ऐसे में तृप्त होना कैसे संभव है ?
- एक तो कि अगर उसी चीज से आपका सम्मोहन छूट जाए तो आप एकदम हैरान हो जाएंगे कि जिससे आप तृप्त हो रहे थे , उससे तृप्त होना तो दूर , उससे विकर्षण , जुगुप्सा , घृणा हो जाएगी।
- कहते है वर्ल्ड भी री साकइल हो रहा है . ....विदेशी यहां मन की शांति के लिए हरिद्वार ओर बनारस की सडको पे घूम रहे है ...जर्मन ओर यूरोप में बाबा रामदेव धूम मचा रहे है .लोग शाकाहारी हो रहे है.....सो भारतीय भी ...मेक्डोनाल्ड में तृप्त होना चाह रहे है
- और ऐसे गीतो पर जब राजेश खन्ना अपनी अदा से बिना किसी मुकाम को पाये मुकाम को भी नामुमकिन बना दें तो राजेश खन्ना के दौर से अब के दौर की तुलना नहीं बल्कि जिन्दगी की फिलासफी निकलती है और हर कोई बिना कुछ पाये भटकने को ही तृप्त होना समझता है।
- वहीं . ..अतृप्ति को स्वीकार करो - वह मुक्त होकर मांग रही थी तृप्ति खुले आम मंच से एक अतृप्त भटक रहा था आनंद की तलाश में तृप्त होना क्यों चाहती हो तुम अतृप्ति ही तो जीवन है तृप्त होकर ठहर जाना रुक जाना क्यों, जीवन का अंत नहीं है? अगर पड़ाव को ...
- अतृप्ति को स्वीकार करो - वह मुक्त होकर मांग रही थी तृप्ति खुले आम मंच से एक अतृप्त भटक रहा था आनंद की तलाश में तृप्त होना क्यों चाहती हो तुम अतृप्ति ही तो जीवन है तृप्त होकर ठहर जाना रुक जाना क्यों , जीवन का अंत नहीं है ? अगर पड़ाव को ...
- किसी कवी की कवीता पड़कर . .तृप्त होना कवीता है ,..कवीता न लिख पाऊ ,पर ..कलम लेकर बैट जाऊ ,...और कोरे पृष्ट को देखता रहू ,.यह भी एक कवीता है ...कवीता शब्दों में ,कवी में या किताबो में बंद नही है ,...कवीता तोस्म्पूर्ण आदमी के भीतर है ,..समय से उसका अनुबंध है ....आखरी कवीता का ...सबको इंतजार है ...{किशोर कुमार }
- किसी कवी की कवीता पड़कर . .तृप्त होना कवीता है ,..कवीता न लिख पाऊ ,पर ..कलम लेकर बैट जाऊ ,...और कोरे पृष्ट को देखता रहू ,.यह भी एक कवीता है ...कवीता शब्दों में ,कवी में या किताबो में बंद नही है ,...कवीता तोस्म्पूर्ण आदमी के भीतर है ,..समय से उसका अनुबंध है ....आखरी कवीता का ...सबको इंतजार है ...{किशोर कुमार }
- श्री श्री रविशंकर : आपकी जो भी इच्छायें हो वह मृत्यु के पहले ही समाप्त हो जाये | एक ऐसा क्षण होना चाहिये जब आपको लगे , कि ‘ मुझे कुछ नहीं चाहिये ' , यह मोक्ष है | मोक्ष के लिये मरने की आवश्यकता नहीं है | मृत्यु के पहले आपको तृप्त होना चाहिये | जब जीवन में तृप्ति आ जाये तो सिर्फ मुक्ति और अधिक मुक्ति ही प्राप्त होती है |