तोटक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तोटक नाम का आद्य शंकराचार्य जी का शिष्य , जिसे अन्य शिष्य अज्ञानी , मूर्ख कहते थे , उसने आचार्यदेवो भव सूत्र को दृढ़ता से पकड़ लिया।
- और आपको पता ही होगा कि तोटकाचार्य का तो नाम ही उनके प्रसिद्ध तोटक के आधार पर हुआ था , जिसने आचार्य शंकर को काफ़ी प्रभावित किया था।
- अरे ! बोले तोटक क्या कर रहा है ? दौड़ता हुआ आया…, जल्दी आ ! तो हाथ में बर्तन था और राख थी, गुरूजी का बर्तन माँझ रहा था ।
- अरे ! बोले तोटक क्या कर रहा है ? दौड़ता हुआ आया … , जल्दी आ ! तो हाथ में बर्तन था और राख थी , गुरूजी का बर्तन माँझ रहा था ।
- गुरुगोविन्दाचार्य को पाकर शंकराचार्यजी तथा शंकराचार्य जी को पाकर तोटक अपने को बड़भागी मानते हैं , श्री जनार्दन स्वामी को पाकर एकनाथ जी और एकनाथ जी को पाकर पूरणपोड़ा अपने को बड़भागी मानते हैं तो श्री समर्थ को पाकर शिवाजी अपने को बड़भागी मानते हैं।
- गुरु गोविंदपादाचार्य को पाकर शंकराचार्य जी अपने को बड़भागी मानते हैं तथा शंकराचार्य जी को पाकर तोटक अपने को बड़भागी मानते हैं , श्री जनार्दन स्वामी को पाकर एकनाथ जी और एकनाथजी को पाकर पूरणपोड़ा अपने को बड़भागी मानते हैं तो श्री समर्थ को पाकर शिवाजी अपने को बड़भागी मानते हैं।
- देश के उत्तरी भाग में हिमालय के शिखर पर ज्योतिर्मठ , पूरब स्थित उडीसा की जगन्नाथपुरीमेंगोवर्धनपीठ, दक्षिण के रामेश्वरम्धाममें श्रृंगेरीपीठ एवं पश्चिम के गुजरात स्थित द्वारकाधीशदरबार में द्वारकापीठकी स्थापना करके उन्होंने अपने चार योग्य शिष्यों-पद्मपाद,सुरेश्व तोटक एवं हस्तामालकआचार्यो को मठाधिपतिनियुक्त कर उन्हें देश को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
- 174 मात्रिक सम छंद है - तोमर , चौपई , चौपाई , शृंगार , रोला , रूपमाला , गीतिका , हरिगीतिका , सोरठाा , उल्लाला 175 मात्रिक विषम छंद है- कुण्डलिया , दोहा , रोला , छप्पय 176 वर्णिक सम छंद है- इंद्रवज्रा , उपेन्द्र वज्रा , उपजाति , वंशस्थ , भुजंग प्रयात , तोटक , दु्रतविलम्बित , वसंततिलका , शिखरणी , मंदाक्रांता , मतगयंद , मालती 177 ' किसको पुकारे , यहां रोकर अरण्य बीच , चाहे जो करो शरण्य शरण तिहारे है ' में छंद है - कवित्त 178 दिवस का अवसान समीप था।
- 174 मात्रिक सम छंद है - तोमर , चौपई , चौपाई , शृंगार , रोला , रूपमाला , गीतिका , हरिगीतिका , सोरठाा , उल्लाला 175 मात्रिक विषम छंद है- कुण्डलिया , दोहा , रोला , छप्पय 176 वर्णिक सम छंद है- इंद्रवज्रा , उपेन्द्र वज्रा , उपजाति , वंशस्थ , भुजंग प्रयात , तोटक , दु्रतविलम्बित , वसंततिलका , शिखरणी , मंदाक्रांता , मतगयंद , मालती 177 ' किसको पुकारे , यहां रोकर अरण्य बीच , चाहे जो करो शरण्य शरण तिहारे है ' में छंद है - कवित्त 178 दिवस का अवसान समीप था।