द्विगुण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अधिशोषित अणु अथवा परमाणु विद्युत् की एक द्विगुण सतह धातु के धरातल पर बना लेते हैं , जो या तो उत्सर्जन में सहायक होती है या उसको कम कर देती है।
- वे तारे जो देखने में एकल दिखाई देते हैं परंतु वास्तव में युग्म तारे हैं और जिनसे स्पेक्ट्रम रेखाओं में कभी कभी आवर्ती द्विगुण उत्पन्न हो जाते हैं ) का पता लगा।
- सूत्रों के द्विगुण होने से जो ऐलोपॉलिप्लाइड बनता है उसमें 9 चतुष्क ( 36) सूत्र होते हैं और ऐसे पौधे में 12 से 18 तक द्विसंयोजक बनते हैं और 0 से 3 तक चतु:संयोजक।
- सूत्रों के द्विगुण होने से जो ऐलोपॉलिप्लाइड बनता है उसमें 9 चतुष्क ( 36 ) सूत्र होते हैं और ऐसे पौधे में 12 से 18 तक द्विसंयोजक बनते हैं और 0 से 3 तक चतु : संयोजक।
- 1900 ई . तक स्पेक्ट्रमिकीय युग्मतारों (Spectroscopic binaries), वे तारे जो देखने में एकल दिखाई देते हैं परंतु वास्तव में युग्म तारे हैं और जिनसे स्पेक्ट्रम रेखाओं में कभी कभी आवर्ती द्विगुण उत्पन्न हो जाते हैं) का पता लगा।
- अगर आने-दो-आने की बात होती , तो खून का घूँट पीकर दे देते , लेकिन आठ आने के लिए कि जिसका द्विगुण एक कलदार होता है , अगर तू-तू मैं-मैं ही नहीं हाथापाई की भी नौबत आये , तो वह करने को तैयार थे।
- यह तृतीय ऐमिन होने के कारण ऐल्किल-आयोहइडों के साथ चतुष्क ऐमोनियम लवण और अकार्बनिक लवणों के साथ द्विगुण लवण बनाता है , जैसे प्लैटीनीक्लोराइड के साथ (C9H7N) 2H2 Pt Cl6 2H2 O क्विनोलीन के ऊपर नाइट्रिक और क्रोमिक अम्ल की कोई क्रिया नहीं होती पर क्षारीय परमैंगनेट इसे क्विनोलिनिक अम्ल में आक्सीकृत करता है।
- यह प्रबन्ध करके वह सिंह के पास गए और सियार ने सिंह से कहा , ' देव ! कोई भी जीव नहीं मिला , और सूर्यास्त भी हो गया है | यदि आपको द्विगुण शरीर देना स्वीकार हो तो यह शंकुर्ण धर्म को साक्षी मानकर द्विगुण ब्याज पर अपना शरीर देने को प्रस्तुत है | '
- यह प्रबन्ध करके वह सिंह के पास गए और सियार ने सिंह से कहा , ' देव ! कोई भी जीव नहीं मिला , और सूर्यास्त भी हो गया है | यदि आपको द्विगुण शरीर देना स्वीकार हो तो यह शंकुर्ण धर्म को साक्षी मानकर द्विगुण ब्याज पर अपना शरीर देने को प्रस्तुत है | '
- सुयोधन पर न उसका प्रेम था , वह घोर छल था , हितू बन कर उसे रखना ज्वलित केवल अनल था जहाँ भी आग थी जैसी , सुलगती जा रही थी , समर में फूट पड़ने के लिए अकुला रही थी | सुधारों से स्वयं भगवान के जो - जो चिढे थे नृपति वे क्रुद्ध होकर एक दल में जा मिले थे | नहीं शिशुपाल के वध से मिटा था मान उनका , दुबक कर था रहा धुन्धुंआँ द्विगुण अभिमान उनका|